माँ विद्या दायिनी
अज्ञानी मन को
बुद्धि,विनय, ज्ञान
की नव ज्योति से
बना दे तू प्रकाशवान ..
हे माँ वीणा वादिनी
भर दे नव ऊर्जा उर में
शारदे छेड़ दे तू रागिनी
सुमधुर तान दे कंठ में
झंकृत हो तार हृदय के
हंसवाहिनी माँ
उज्ज्वल धवल
परिधान मनोहर
खिला खिला है रूप
तू ही तो धो देती
हर दिलों से मैल ..
हे माँ सरस्वती
पुस्तक धारिणी
तेरी कृपा जब
किसी पे बरसती
तो भर जाते हैं
ज्ञान की भंडार ..
उपनिषद वेद भी
जिह्वा पे बसती ...
माँ कमल आसनी
शुभ फल दायिनी
तू जहाँ भी रहती
दुख दारिद्र दूर रहता
लक्ष्मी वहीं विराजती
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