मोहक अदा पे लट्टू हो
बड़ी आसानी से मोहरा
बन जाना और ताउम्र
इस्तेमाल होते रहना ही
कुछ लोगों का नसीब है
कभी कभी वो अंजाने में ही
बन जाते किसी के शिकार
कर लेते वो जिन्दगी खराब...
समझ भी न पाते फंस जाते
किसी के मतलबी जाल में
स्वार्थ में अंधे बना लेते गुलाम
जल्दी ही सीधे सच्चे लोग
विश्वास कर लेते दूसरे पर
जब तक समझ में आता है
लुटीया ही अपनी डूबो लेते हैं ..
बहुत से लोग जानबूझकर
आसक्ति में जकड़ बंध जाते
किसी के मोहपास में और वे
हमेशा के लिए बन जाते मोहरा ..
ऐसो की मुर्खता पर हँसीआती
करते जो जग हँसाई अपना
उसकी अक्ल पे तरस आता
जाने क्यों बर्बादी के पथ चलता
लगता बुद्धि गई घास चरने को ..
जब वक्त बदलता समझ आता
हाथ मलने के शिवा कुछ न मिलता
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