Saturday 23 June 2018

विश्वकर्मा पुत्र

समुद्र के किनारे बसे महानगर में  सुनामी के आते ही शहर के सारी सड़कें, पुलें व गगन चुम्बी इमारतें चरमरा गई । हर ओर तबाही मची हुई थी..."

"लोगों को सुरक्षित निकालना अत्यंत मुश्किल हो रहा था ..सभी बड़े अधिकारी अपने से छोटे अधिकारियों को जल्दी से व्यवस्थाओं को सुचारु करने के लिए फोन से हिदायतें दे रहे थे ...."

"मंत्री हवाई सर्वेक्षण के द्वारा मौके का मुआयना कर रहे थे....।"
"एक निश्चित तारीख तक उनका आदेश था पुलों को दुरूस्त करने का..."

"मातहत अधिकारी ने जल्दी जल्दी ठेकेदार को काम सौंपा .."

"ऐसी विकट स्थिति में जाबांज विश्व कर्मा पुत्र(कारीगर) सरीखे नौजवान ने बिड़ा उठाया  ... बिखरे.. टूटे पुलों को नए सिरे से मरम्मत करने का ।"
"सचमुच उसके वजह से फिर से दुरूस्त हो गया इलाका .."

"ऐसे कर्मनिष्ट के बल पे खिल उठा चमन, मुस्कुराने लगी जिन्दगी फिर से .."

और ," वो वहीं का वहीं है ... लगता है सदा के लिए    अभिशप्त है ...."
"जरा सा भी परिवर्तन न आया  उसके जीवन में ..।"

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