Saturday 30 June 2018

धैर्य

गाँव में जहाँ देखो यही चर्चा हो रही थी ....मासुम रंजु की
 शादी, दुगुनी उम्र के बुजुर्ग से हो रही ...जाने कैसे कसाई
 मामा है ...?
किसी ने कहा ,बिन माँ की बेटी का कौन सुधि लेता...!
कहीं से उड़ती खबर बगल वाले शहर के काॅलेज तक पहुंचा..
बहुत से छात्र ये सुनके आक्रोशित हुए ..शादी को रोकने का उन लोगों ने विचार किया... । अगले ही दिन सारे छात्र पहुँच गए गाँव.. फिर रंजु के मामा को लगे समझाने ...।

"वे कहने लगे आपको कोई हक नहीं है ..एक मासूम की जिन्दगी से खिलवाड़ करने का ...!

'हमलोग ऐसा नहीं होने देंगे ....   ये शादी आप रोक दो ...!"

मामा कहने लगे ..."मैं क्या करूँ तुम्ही लोग बताओ ..!
जहाँ भी जाता लड़का देखने सब मेरी हैसियत से अधिक दहेज मांगते ...इतने रूपये मैं कहाँ से लाऊँगा ...?
गर  जमीन बेच भी दूँ ...तो परिवार को कैसे पालूँगा ...?

"फिर छात्रों के ओर मुखातिब होके वो बोले ...समाज सुधार करने का इतना ही बीड़ा उठाए हो तो ..! "
"है हिम्मत तुम में से किसी को...शादी करने की ... !
कहना बड़ा ही आसान होता  ..थोती आदर्शवादिता शोभा नहीं देती" ...
" गर हिम्मत है तो आगे बढ़कर रंजु का हाथ थाम कर        दिखाओ .."
"शादी का नाम सुनते ही एक एक कर सभी छात्र खिसकने
  लगे ...अंत में दीपक बच गया ..".उसने बोला मैं करूँगा ...
  इससे से शादी ...."
"सचमुच वो उसी समय साधारण रीति रिवाज से ब्याह रचाकर ले आया दुल्हन को अपने घर ...!"
घर पहुँचते ही दरवाजे के पास बीबी को रोक के माँ को  पुकारने लगा ....माँ ..! माँ ...!... देखो किसी लाया हूँ ...!
 माँ दुल्हन बनी र॔जु को देख अचरज में पड़ गई ...हैरत भरी नजरों से बेटे और दुल्हन दोनों को देखे जा रही थी ...!"
दीपक ने सिर झुका के कहा  ...!  "माँ ये आपकी बहू है ..."
इतना सुनते ही वो गुस्से के मारे उबल पड़ी ...पैर पटकते हुए अंदर चली गई ..."ये देख रंजु सकपका गई ..."
फिर दीपक ने उससे कहा ,  देखो ! त्याग  धैर्य व स्नेह से पाषाण से पाषाण हृदय भी पिघल जाते हैं ..."
"फिर वो तो माँ है...!   जल्दी ही वो तुम्हें अपनी  स्नेह का  भागीदार बनाएंगी ....!"






 

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