कितने दिनों से चल रहे वकीलों के जिरह के बाद कोर्ट के फैसले अनुसार शालू और सौरभ अंततः आज अलग हो ही गए ...।
एक मेधावी डॉ और एक मेधावी ईन्जिनियर का एक छत के नीचे रहना अत्यंत मुश्किल हो गया था ।
कहीं से उड़ती खबर आई कि,तलाक की पेशकश लड़की के तरफ से था ...
किसी को समझ में न आया, इतनी सुशील शालू क्योंकर इतनी रूड हो गई । जबकि,स्वभाव से गंभीर सौरभ निहायत स्मार्ट एवं मेधावी डॉ थे ।
"लोगों ने आपस में कानाफूसी की, शायद ये दिल का मामला है ....।"
शालू की माँ बहुत ही सख्त मिजाज की थी । अपने बच्चों को सीमाओं के बंधन से घेर रखा था ...किसी भी बच्चे में उस लक्षमण रेखा को पार जाने की इजाजत नहीं थी...
परंतु, न चाहते हुए भी शालू ने बड़ी बहन के चचेरे देवर जो बी टेक का छात्र था उसको दिल दे बैठी ..। डरते डरते ये बात उसने माँ को भी बता दिया ।
परंतु जिद्दी माँ ने, "उसकी एक न सुनी..क्योंकि एक ही घर में दो रिश्ते उसे मंजूर नहीं था । "
"उसने ये भी न सोचा ! मेधावी इन्जिनियर बिटिया को कोर्स पूरे होने दे ..! उल्टे, अलग फिल्ड के लड़के डॉ से शादी करा दी ।"..
शालू भी कम जिद्दी नहीं थी उसने पति के साथ कभी रिश्ते बनने ही नहीं दिया । लाख समझाने के बावजूद ... "कोर्स कमप्लिट होते ही जाॅब मिलने के साथ उसने तलाक की अर्जी अदालत में दे डाली ..।"
इस तरह एक जिद्द में दो जिन्दगी बरवाद हो गई ...
No comments:
Post a Comment