आज राजेश एन डी ए में सेलेक्सन की खुशी में मिठाई का डिब्बा लिए, मेरे घर आके मेरे पाँव छू रहा ...।अचानक खुशी मिश्रित आँसू ढलक गए मेरे गालों पर और आशीर्वाद वाले हाथ उसके सिर पर जा पड़ा ...।
"सचमुच उसको देख के मैं फूली नहीं समा रही थी ...।"
मुझे याद आने लगा वो दिन, "जब सुदूर गांव से दुबला पतला लंबा सा एक युवक आया देहरादून, एन डी ए की तैयारी करने ।"
वो दूर के मेरे रिश्तेदार था... इसलिए उसके पापा लोकल गार्जियन हमें बनाना चाहते थे ।
मेरे ही कोलोनी के आसपास उसे कमरे दिलाकर वो चले गए ।
लड़का बड़ा ही संस्कारी था .. खुद ही खाना बनाता, बर्तन धोता साथ साथ मन लगाकर कम्पिटिशन की तैयारी भी करता था ।
हमेशा ही एक ही जोड़े सफेद कुर्ते पजामे में आता ..रत्ती भर दाग धब्बे न रहते उसके कपड़े में ...। कभी कभी मेरे बच्चों के सवाल भी बता दिया करता ... लेकिन हर सवाल हिन्दी में बताता..। चूँकि गाँव से आया था तो अंग्रेजी कमजोर था उसका ...।
एक दिन मैंने उससे पूछा बेटा , "मैथ्स इतना अच्छा है तो तुम इन्जिनियरिंग में क्यों नहीं जाना चाहते ...?"
"आर्मी आफीसर में जाने के लिए अंग्रेजी मजबूत होना जरूरी है ...! कहीं इनटरव्यू में तुम्हें दिक्कत न हो ....!"
उसने बोला," दीदी एन डी ए में सेलेक्सन होने पे सरकार खर्चे देगी पढ़ाई के लिए ।" ईन्जिनियरिंग में पढ़ाने में पापा को परेशानी होगी," दोनों छोटे भाई भी पढ़ नहीं पाएगा क्योंकि आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है उनकी ।"
बाद में अपने स्कालरशिप से मैं भी पापा की मदद करूँगा।
जहाँ तक अंग्रेजी की बात है, "थोड़े दिन ट्यूशन करके व मेहनत से ठीक कर लूँगा ... ।"
उसके सेल्फ काॅन्फिडेंन्स देख मैं अचरज में पड़ गई.. ।
उसने फिजीकल फिटनेश के लिए पढ़ाई के साथ साथ प्रशनाइलिटी डवलपमेन्ट पे भी खूब मेहनत किया ..जिसके परिणामस्वरूप,सच में आज वो मेधावी छात्र राजेश अपनी कथनी को हकीकत में बदल दिया ...।"
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