Thursday 26 July 2018

वादा

नेट पर पी सी एस का रिजल्ट देखते ही शंकर के आँखों से खुशी के अश्रु बहने लगा । उसके बेजान जीवन को मानो संजिवनी बूटी मिल गई ...।

अपने माँ पापा व गुरूजनों के आशीर्वाद लेने के बाद...वो
जल्दी जल्दी वाइक निकालकर आनन- फानन में ही पहुँच गया अपने प्रियतमा के घर सफलता का परचम लहराने....।

जहाँ,प्रिया के मम्मी पापा के साथ सभी लोगों ने ढेरों बधाईयाँ दी,सब कोई गर्मजोशी से उसका स्वागत करने लगे। इसी पल के इन्तजार में उसने जाने कितने ही रातें  जग के बिता दिया था ....।

रिजल्ट निकलने से पहले वो डरा डरा सा रहता, पेपर से संतुष्ट होने के बावजूद स्पर्धा के भेंड़ चाल से भयभीत था  ..।
रात दिन यही ख्याल सता रहा था कि, अगर उसका सेलेक्सन पी सी एस में नहीं हुआ तो प्रिया से जीवन भर
 के लिए बिछुड़ जाएगा । अब कोई मौके भी नहीं देंगे प्रिया के घरवाले ..।

दोनों का मिलना एक इत्तेफाक ही था..."जाने कैसे एक
दिन शंकर की नजर प्रिया पे पड़ गई....!
जबकि दोनों का क्लास अलग अलग था । शंकर बी ए आनर्स और बी एस सी में प्रिया थी...।"

शंकर का अधिकतर समय प्रिया का पीछा करने में बर्बाद होने लगा । वो जहाँ जाती पीछे पड़ जाता । पढ़ने लिखने में उसका मन तो लगता नहीं था, बस प्रिया के प्यार में दीवाना बना फिरता । इस चक्कर में मेधावी प्रिया की पढ़ाई बाधित हो रही थी ... ।

"नाहक ही प्रिया बदनाम हो गई थी...।"

एक दिन प्रिया ने हिम्मत करके शंकर से कहा, अगर आपको मुझे पाना है तो कुछ बनके दिखा दीजिए.. मैं आपसे शादी करने के लिए अपने घर वालों को मना लूँगी ....।

परन्तु जब तक आप कुछ न बन जाएँ, हमसे न मिले इसका वादा करना होगा ...।

"शंकर ने बोला ठीक है पर ये बात तुम्हारे मम्मी पापा के मुँह से सुनना चाहता हूँ... ।"

प्रिया ले आई शंकर को अपने घर, परिवार के लोगों ने भी यही कहा ...।
"आज शंकर ने लक्ष्य भेद कर प्रेम को नई उँचाई बख्स दी...!!"
कहते हैं गर प्यार सच्चा हो तो उसे मिलाने में सारी कायनाते एक हो ही जाती ...।

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