विधा- राधिका छंद
तुम हमें खुशी दो न प्रभु ! पीर दे देना 1.
राह जब भी मुश्किल लगे,धीर दे देना
बिखरे हैं हर ओर कंश ,रक्षा तू करना
दिल में चुभाते हैं दंश,नेह तुम करना
मेरी छुट गई पतवार, तुम प्रभु उबार 2.
खो गई है मंजिल मेरी,दे ख्वाब का घर
दुख दो मुझे कितने ही ,मन कभी भटके
वर देना हमें इतना , शीश रहे झुके
प्रभु जी कुछ ऐसा करूँ, ज्ञान मुझे मिले 3.
शब्द अलंकृत हो उर में, फिर छंद खिले
गीत गाऊ मीठा जिसे ,सुन के दिल खिले
होये फिर सफल जीवन, पहचान कुछ मिले
तन मन में प्रभु जी बसे, तन शूचि कर दे
हो मन आलोकित !कभी न,रैन काली दे
घमंड न छू सके हमको, कलुषित न उर हो
धर्म कर्म से वास्ता रहे , कभी अहित न हो
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