विधा- राधिका छंद
प्रीतम बिन कैसे जियूँ, शायद भूल गए 1.
कर रही हूँ याद तुम्हें , शूल क्यों दे गए
प्यार ने ही छीन लिया, दिल के सब चैन
देख रही राह कब से, धीर न धरे मन
जब मिली मुझको खुशियाँ, संभाल न सकी 2.
राह दिखाया मंजिल के, समझ भी न सकी
पग पग छलते हैं लोग, अकल भी न आई
सब कोई यहाँ परेशां ,क्यों न सकुन आई
किनारे रहके न थाह, तू नदी के ले 3.
चलो कठिन राह !दूरी, तुम ज्ञात कर ले
कंटक चाहे कितने ही, मिले निकाल लो
दुख से घिरा हो जीवन , गम से निकल लो
लाख गम क्यों न मिले हो , तुम कभी न डरो
रखना जमीन पर कदम ,तुम न कभी गिरो
दर्द की दवा वही करे, पीर दी जिसने
जिसे दे प्रभु आशीष , सिद्धि पाई उसने
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