Friday 28 September 2018

सिद्धि

विधा- राधिका छंद

प्रीतम बिन कैसे जियूँ, शायद भूल गए    1.
कर रही हूँ याद तुम्हें ,  शूल क्यों दे गए
प्यार ने ही छीन लिया,  दिल के सब चैन
देख रही राह कब से,    धीर न धरे मन

जब मिली मुझको खुशियाँ, संभाल न सकी    2.
राह दिखाया मंजिल के, समझ भी न सकी
पग पग छलते हैं लोग, अकल भी न आई
सब कोई यहाँ परेशां ,क्यों न सकुन आई

किनारे रहके न थाह,    तू नदी के ले       3.
 चलो कठिन राह !दूरी,  तुम  ज्ञात कर ले
कंटक चाहे कितने ही,  मिले निकाल लो
दुख से घिरा हो जीवन , गम से निकल लो

लाख गम क्यों न मिले हो , तुम कभी न डरो
रखना जमीन पर कदम ,तुम न कभी गिरो
दर्द की दवा वही करे,  पीर दी जिसने
जिसे दे प्रभु आशीष , सिद्धि पाई उसने

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