Thursday 6 September 2018

राम वनवास

विधा-कजली गीत
 
कि हरे रामा अयोध्या भइल सूनसान
भेल वनवासी दशरथ नंदन ए हरि ।
कि हरे रामा गाछ पात सब रोये
नगर वासी सारी ऐ हरि ..
 1.
मात कौशल्या रोये फूटी फूटी
कहंमा गईल हमार राम लला बाटे ।
जानकी बिन उदास भवनवां
श्मशान लागे ए हरि ।
कि हरे रामा अयोध्या ..
2.
मंथरा कैकयी के बुद्धि फेरि दिहनि
निकस गईल दशरथ के प्राण
पड़ल आघात विपदा बड़ भारी ।
हियरा हारी ऐ हरि ।
कि हरे रामा अयोध्या ..
3.
माई कुल घातिनि तू हमार मात नहीं
माता कुमाता कभियो न होला
भाई राम लक्ष्मण भावज सिया
वनके देलन ए हरि ।
कि हरे रामा अयोध्या ..    
4.
राम भैया संग मिली गला
भरत के हिचकी छूटैय लागल
अयोध्या तोहरे बिन अनाथ
नहीं चाही राज पाट  ऐ हरि ।
5.
सुनी रघुनाथ मन ही मन मुस्काये
उठ ह भरत कर तू आपन कर्तव्य ।
आपन अधूरा काज संपन्न करब,
आयब हम अयोध्या ऐ हरि ।

कि हरे रामा अयोध्या भइल सूनसान
भेल वनवासी दशरथ नंदन ए हरि ।
 

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