Thursday 15 November 2018

गुरु सानिध्य

मनुज विमुख न हो कर्म से , रख ले उर तू साफ
  प्रभु चरण के रज ले लो, करे भूल वो माफ

तन की माया त्याग दो, टुटे श्वास की डोर
 दया कर सभी जीव से , कर्मो पर कर गौर

छोड़ जाना जग सबको ,,, बोलो मीठे बोल
 कर उपयोग पल पल का ,,, जीवन है अनमोल

  है निश्चित कुछ भी नहीं ,क्षण भंगुर  संसार
  नेकी जाते संग ! न तू  , दौलत पर दिल हार

छल प्रपंच जग में भरे , मुश्किल है पहचान 
 गुरु सानिध्य से होती, है मंजिल आसान

गुरु चरण शीश झुका , मिलते जीवन सीख
  चाह सभी पूरी करे, मांग ज्ञान का भीख

शान्ति मिले गुरु चरण से ,दिल में भरते प्यार
  सब क्लेशों को वो हरे, करे वही भव पार ।

 

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