Sunday 9 December 2018

समगोत्री

विधा-संस्मरण

आज रविवार के चाय की चुस्की संग बैठे बैठे बीती यादें दस्तक देने लगी । परंपरा के बली बेदी पर कैसे दो प्रेमी चढ़ गए थे, कैसे अलगाव के गम सहने के लिए दोनों ही अभिशप्त हो गए ।आज भी याद आता है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं ।
बात उन दिनों की है जब मेरे पति और उनके सहपाठी रूमेट मेडिकल फाइनल इयर में पढ़ रहे थे ।उन दोनों में
बहुत ही दोस्ती थी । मेरी अभी नई नई शादी हुई थी, अतः
मेरे पति अपने मित्र के साथ मेरे घर यदा कदा आते रहते थे ।मेरी भी उनसे अच्छी बनती थी ।
बातों ही बातों मैंने पूछा आप कब ये विरागी जीवन त्याग कर नई दुल्हनियाँ लावोगे ।
उत्तर देने के बजाय वो फीकी हँसी में बात टाल गए ।
बाद में एक दिन मेरे पति ने बताया गुरु(इनके मित्र) आजकल बहुत टेन्सन में चल रहा है ।जिसके साथ चक्कर चल रहा है वो उसके ही गोत्र  की है ।परंतु उन दोनों का प्यार बचपन से ही है । दरअसल वो लड़की गुरू की माँ के जानने वालें में से थी इसलिए पढाई के सिलसिले में
उसी के घर रही थी ।अब किसको पता था बचपन का लगाव प्यार में बदल जाएगा ।
"हाय हाय बेचारा रोता रहता है  ....!!"
खैर फाइनल परीक्षा नजदीक आ गई तो मेरे पति ने  पढ़ाई करने के तरफ उसे ये कहकर आगाह किया कि "कोई न कोई उपाय जरूर निकलेगा ...मुझ पर विश्वास रख !!"
खैर दोनों अच्छे नम्बर से पास हुए ।फिर गुरु ने मेरे पति को कहा ,अब तो मेरे लिए कुछ करो पार्टनर ...।"
फिर दोनों ने  लड़की को समझाया  ,"आधुनिक युग में ये गोत्र का लफड़ा छोड़ चलो मंदिर में फेरे ले लो,घर वाले धीरे धीरे मान ही जाएँगें ...।"लड़की मान गई ..
तय के मुताबिक लड़की अपने सहेली संग आई और गुरु के साथ मेरे पतिदेव थे।फिर दोनों का वरमाला हो गया ।
मिठाई बैगरह बाँटा गया उसके सब चले गए ...
लड़की अपने  हाॅस्टल और लड़का अपने काॅलेज लौट गए ।
मेरे पति और गुरु बहुत खुश थे कि शादी हो गई धीरे धीरे लड़की का डर  खत्म हो जाएगा,बी.आनर्स के पेपर देकर तो दोनों साथ रहने लगेंगे ।
लेकिन ऐसा हो न सका , लड़की अपने घर  लौट गई ।उसने संदेशा भेजा जब तक घर वाले नहीं मानेंगे,तब तक वो नहीं लौटेगी ।इस बीच गुरु विक्षिप्त सा रहने लगा ।मेरे पति से उसकी हालत देखी न जाती ।
फिर उन्होंने एक और कोशिश करने की योजना बनाई ।
गुरु को लेकर मेरे पति लड़की के घर पहुँचे ।वहां उन्होंने लड़की के माता पिता, लड़की की बहन, लड़की सभी से
अलग अलग तरह से समझाने का प्रयास किया ,परंतु कोई फल नहीं निकला।
लड़की की माँ कहने लगी, "एक डॉ से मेरी बेटी की शादी होगी, घर जाना पहचाना मिल रहा है, इससे अधिक सौभाग्य की बात क्या हो सकती है ...।"
...पर समगोत्री से शादी कराने पर हमारी नाक कट जाएगी । मेरी दूसरी बेटी की शादी में मुश्किलें खड़ी हो जाएगी ।..."बेटा हमें माफ कर दो !!"
लड़की भी रो रो कर यही कह रही थी कि, "गुरु जैसा योग्य पति मिलना मुश्किल है पर माता पिता के दिल तोड़कर घर बसाने की मेरी हिम्मत नहीं ...।"
उसके बाद दोनों बुझे मन से वापस आ गए ।उसके बाद गुरु की हालत बहुत घराब हो गई ।उसे लगता लड़की ने उसे धोखा दिया ।उसको सामान्य जीवन यापन करने में काफी वक्त लगा ।मेरे पति के बदौलत वो सही राह पकड़ लिए ।आज उनका बड़ा नर्सिंग होम है ।प्यारी बीवी और दो बच्चों का सुखी परिवार है ।हम लोग मिलते रहते हैं ।
       समाज के दकियानुसी रीति रिवाज कैसे दो हस्ती के
जीवन को बदल दिए ये आज भी विचारणीय प्रश्न है ... ।

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