Wednesday 20 February 2019

खुद की पहचान

राह न खुले किसी की जब तक  दिल में संकल्प नहीं
बुलन्द हौसला न हो तो उनको मिलती  मंजिल नहीं

अपने गिरेबां में सबसे पहले ,सबको झांक लेना चाहिए 
शीशे के घर में रहने वाले , किसी पे फेंकते पत्थर नहीं

दूसरे के जिन्दगी में झांकने वाले, करे खुद की फिकर
सोच की कभी उनके घर पर, पड़े किसी की नजर नहीं

दूसरे की खिल्ली उड़ाने की, लोगों की आदत है बूरी
जान ले तुम्हारा भी मखौल बनने में लगे विलम्ब नहीं

दूसरे के राहों  में गड्ढा खोदना बड़ा ही अमानुषिकता है
वक्त बदला चुन चुन कर लेता, बने खुद के दुश्मन नहीं

कर्तव्य व त्याग का पालन  कोई कोई ही किया करते
उपदेश नेकी का वही देते हैं जो खुद करते अमल नहीं

कभी कभी अपनों से हारना भी सुकून देता लोगों को
प्यार और विश्वास के बिन दिल में खिले कमल नहीं

धैर्य बेहद जरूरी जिन्दगी बार बार परीक्षा लेती है
हर किसी को आरामों सुकूं जिन्दगी मुकम्मल नहीं

नकारात्मकता हावी राग रागिनी में डूबे हैं रचनाकार
वीर रस की कविता लिखा करते हैं अब कलम नहीं

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