विधा--अहीर छंद
माँ है बहुत बिमार ,,डाॅ करते उपचार
चलने से लाचार,,पीड़ा है भरमार
मर्ज का हुआ भान,,प्रभु बचाना जान
आफत से अंजान,,परिवार परेशान
हालत है नासाज,,हुए हैं सभी जाँच
आपरेशन न टाल ,,कोई संशय न पाल
घुटने के बदलाव ,, डाॅ ने दिए सुझाव
पीड़ा होगी दूर ,, जीवन सबका नूर
हो गया है इलाज ,, सहमे हैं हम आज
चल ली , है संतोष,, आए हृद को होश
मिट गए सभी पीर,,बहे खुशी के नीर
छा गए हर्ष धूप ,, खिले हृदय के पुष्प
उषा झा (स्वरचित)
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