है शब्द पुजारी सृजन द्वार
अंजुरी भर शब्द पुष्प
हर्फ़ दर हर्फ़ बिखर गए,
हृदय के मेरे पन्नों पर ।
नव युग रचने को तैयार
है शब्द पुजारी सृजन द्वार ।।
धूल दिलों में जम गए
टूटे सभी रिश्तों के तार ,
जिन्हें जोड़ना है आज ।
बचे न उनके उर में खार
है शब्द पुजारी सृजन द्वार ।।
नेह नयन से पल में छलके
कहना उन्हें प्रेम ही संसार ।
रूठे पी के प्रीत न हो फीके,
झुमे आसमां द्वै दिल निसार ।
है शब्द पुजारी सृजन द्वार ।।
धोना मन से मैल,गिराना है
घृणा द्वेष से बनी हुई दीवार ।
रूठे रिश्तों को भी मनाना है,
बहे न किसी के अश्रु बेकार ।
है शब्द पुजारी सृजन द्वार ।।
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