Wednesday 8 May 2019

अंजुरी भर शब्द पुष्प

है शब्द पुजारी सृजन द्वार

अंजुरी भर शब्द पुष्प
हर्फ़ दर हर्फ़ बिखर गए,
हृदय के मेरे पन्नों पर ।
नव युग रचने को तैयार 
है शब्द पुजारी सृजन द्वार ।।

धूल दिलों में जम गए
 टूटे सभी रिश्तों के तार ,
 जिन्हें जोड़ना है आज  ।
 बचे न उनके उर में खार
है शब्द पुजारी सृजन द्वार  ।।

नेह नयन से पल में छलके
कहना उन्हें प्रेम ही संसार ।
रूठे पी के प्रीत न हो फीके,
झुमे आसमां द्वै दिल निसार ।
है शब्द पुजारी सृजन द्वार     ।।

धोना मन से मैल,गिराना है
घृणा द्वेष से बनी हुई दीवार ।
रूठे रिश्तों को भी मनाना है,
बहे न किसी के अश्रु बेकार  ।
है शब्द पुजारी सृजन द्वार   ।।

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