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रहा नहीं गम कभी हमें भी,खुशी मिली जो तुम्हीं सँभालो ।
भुला ,रहे तुम रहम कभी तो करो, हमें अब कुचल न डालो ।।
वफा नहीं वो करे उन्हें क्या कहे किसी से न आरजू अब ।
मियाँ दिखाते शकल न अपना,किसी परी पर फिसल न डालो
कभी पुकारा तुम्हें हृदय से, मगर न कोई जवाब पाया ।
चलो मिटा दो सुहानी यादें , खुशी में अब खलल न डालो ।
दिवा स्वप्न से जगी तो दिल का खुमार जाने कहाँ गया है।
यहाँ तो माँगे न भीख मिलती, चलो हृदय पर ये बल न डालो
नहीं गिला है सनम जहाँ भी रहो दुआ है मिले सभी सुख
गुजर गए वक्त प्यार के अब जुदा है राहें दखल न डालो।।
यकीन किस का करें जिगर पर लगी अभी चोट जो गहरा है ।
उड़ा रहा था पतंग जैसा , गिरी धरा पर पहल न डालो ।।
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