Wednesday 18 September 2019

दोहे (वीर रस )

प्रहरी हो तुम देश के, हमको है ये भान ।
करे न परवाह खुद की , हो सबके अभिमान ।।

शीश चढ़ा ते माँ के चरण, अद्भुत तुम हो वीर ।
प्रेम हृदय जब उमड़ता , नहीं छोड़ते धीर ।।

सैनिक महान पुत्र है,   करते रौशन नाम ।
सेवा करते देश का,   करे न वो आराम ।।

गर्व करते मात पिता , जब दे सुत बलिदान ।।
कतरा कतरा बहते रक्त,बढ़ जाता सम्मान ।।

छक्के छुड़ाते अरि के , करे  फक्र  हैं  देश ।
घर में घुस कर चीर दे , बदले अपने भेष ।।

सपना सैनिक नैन में, तोड़ू दुश्मन दाँत ।
डाले भारत पर नजर, फाड़ू उसकी आँत ।।

दुष्ट देश को घात दे,  कभी नहीं मंजूर ।
तिलक करूँ अरि रक्त से, उर में भरे गरूर ।।

कुर्बानी  राष्ट्र  पर  क्यों,   होती है व्यर्थ ।
साँप घरों में पालते , होता बहुत अनर्थ ।।

खट्टे हो दाँत अरि के ,,करना ऐसा काम ।
हिम्मत अरि की नष्ट हो,कर दूँ मैं नाकाम ।।

माँ की सेवा फर्ज है, सबसे पावन धर्म ।
देते उनको कष्ट जो  , सबसे बड़ा धर्म ।।

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