कितनी हर्षित मै हुई , पाई जब संतान ।
तुम्हें देख कर उर भरे, बनो नेक इन्सान ।।
पाकर सुख मातृत्व का , मै तो हुई निहाल ।
ममत्व से लोरी भरी, गाती चूमूँ भाल ।।
नींव नही कमजोर हो , सींच रही दिन रात ।
उच्च इमारत तुम बनो ,यही हृदय की बात ।।
लिखो इबारत तुम नई , देना तुम सौगात ।
रौशन करना नाम तुम , मिले नहीं आघात ।।
विशाल बरगद से बनो , टिकें जमीं पर पाँव ।
करूँ भरोसा,मै सदा, दोगे सबको छाँव ।।
बेटी तू ज्योति नयन की, तुझसे चलती साँस ।
धड़कती उर रश्मि ऋचा ,तनुजा मेरी खास ।।
मोहती रश्मि जगत को , हृदय भरे अनुराग ।
ऋचा वेद सी प्रखर है , देख दिल बाग बाग ।।
बोली झरने सी मधुर , तनया तू अनमोल ।
लाती खुशियों की लहर, हृद पट जाती खोल ।।
जीती तुझको देखकर ,निश्छल सी मुस्कान ।
प्रतिमूर्ति दया त्याग की ,तुम मेरी अभिमान ।।
बेटा कोई कम नहीं , श्रेयस उसका नाम ।
करना अब विभेद नहीं ,दोनों एक समान ।।
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