Tuesday 1 October 2019

रिश्ते प्यार से

विधा' - सिंहावलोकित दोहे

दिल के रिश्ते, युगों से, हुआ प्रेम-आधार ।
आधार, प्रीत जगत की,बने तभी संसार ।

मन-मंदिर में प्रेयसी, बसी हैं रोम-रोम ।
रोम-रोम हर्षित हुआ,करे प्रेम, हृद मोम ।

पलकों में प्रियतम बसे,देख रही वो राह ।
मुश्किल कितनी, राह हो,प्रीत है बेपनाह

मोती टपके नैन से,  देते  प्रीतम  शूल।
शूल से बोझिल,पलछिन,उड़े ख्वाब के धूल ।

दंश-विरह के जब मिले,मुख से निकले आह।
आह से प्राण न निकले  , ईश करे आगाह ।।

रहें संग, दोनों युगल, हो जीवन में प्यार ।
प्यार बिन अधूरे मनुज , बहे प्रेम रस धार  ।।

चाहत के इकरार से , है जिन्दगी हसीन ।
हसीन जब हो हमसफर , भाग्य नहीं फिर दीन ।।

विश्वास, त्याग, नेह से,दिल लेते हैं जीत ।
मान हार लो जीत कर,यही प्रीत की रीत  ।।

उजड़े घर फिर से बसे, दिल में हो संकल्प
संकल्प से रिश्ते सुधरे  , बस प्रेम ही विकल्प ।।

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