विधा- दोहे
बाजीगर दिन रैन ही , सोचता नव बिसात ।
खेल अनोखा खेलता, शह को मिलता मात ।।
हार जीत के खेल में, जीवन जाए बीत ।
व्यर्थ वाद विवाद करे, गाते अपनी गीत ।।
दुख सुख जीवन चक्र है, मिले हमें सौगात ।
प्रतिकूल अनुकूल बने , तम की कटती रात ।।
स्याह हृदय सफेद करें, ले लो प्रभु का नाम।
नफरत बदले प्यार में ,नेक करो कुछ काम।।
फैले प्रकाश हर्ष का , छँटे उर अंधकार ।
जगमग अब घर द्वार में ,सुख बरसे आगार ।।
पथ अधर्म का छोड़ दो, मानवता ही धर्म ।
त्याग दया है मनुजता, मनुज करो कुछ कर्म ।।
ऊँच नीच में मनु बँटा, मानसिकता बिमार ।
दीन -धनिक दिल कब मिले,नैन धन का खुमार।।
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