Monday 25 November 2019

शब्दों की शह और मात


 विधा-  दोहे

बाजीगर दिन रैन ही , सोचता नव बिसात  ।
खेल अनोखा खेलता, शह को मिलता मात ।।

हार जीत के खेल में, जीवन जाए बीत ।
व्यर्थ वाद विवाद करे, गाते अपनी गीत  ।।

दुख सुख जीवन चक्र है, मिले हमें  सौगात ।
प्रतिकूल अनुकूल बने , तम की कटती रात ।।

स्याह हृदय सफेद करें, ले लो प्रभु का नाम।
नफरत बदले प्यार में ,नेक करो कुछ काम।।

फैले प्रकाश हर्ष का , छँटे उर  अंधकार ।
जगमग अब घर द्वार में ,सुख बरसे आगार ।।

पथ अधर्म का छोड़ दो, मानवता ही धर्म ।
त्याग दया है मनुजता, मनुज करो कुछ कर्म ।।

 ऊँच नीच में मनु बँटा, मानसिकता  बिमार ।
 दीन -धनिक दिल कब मिले,नैन धन का खुमार।।


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