मापनी - 211* 8 सगण 12 वर्ण पर यति
211 211 2 11 211 211 211 2 11 211
प्रेम सुधा बरसी सब आँगन , बाजत है मुरली मन भावन
पावन पूनम की जब रौशन , रात हुई फिर चाँद छुपा मन
गोपन नैनन शीतल ठंडक रास रचा वत कोप भुलावन
नेह भरे सब के हिय ये धन ,छीन सके अब कौन बुलावन
पुष्पित प्रेम सरोवर डूबि रही मुरली सुन, गोपन धावत
कंचन देेह सुखाय गये प्रभु प्रीति डली मिसरी सन लागत
काम सभी बिसरा कर माधव संग चली मन जो बहकावत
झूमि रहा नर नारि सभी मिलि साँझ भये सब झूलन गावत
कृष्ण बसे मथुरा नगरी सब , भूल सखा अब केवल ,
कोंपल प्रेम सभी उर मुरझावत ग्वालन नैन बहे पिघले सब
वो छलिया अब याद करे तब , दंश वियोगन शूल जले सब
पीर दिये विरहा तड़पी वृृृषभानु सुता उर तीर चले जब
उषा झा (
वो छलिया अब याद करे तब , दंश वियोगन शूल जले सब
पीर दिये विरहा तड़पी वृृृषभानु सुता उर तीर चले जब
उषा झा (
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