विधा- प्रश्नोत्तरी दोहे
मानव क्यों राक्षस बना,पीता क्यों वो रक्त ?
विवश मनुजता आज है,मति गायब बेवक्त।
मात-पितु के हिय सिसकें , परिवार रहा टूट
रिश्ते सब दुश्मन बने , भाई भाई फूट ।।
नीड तिनकों से बनते,उड़ा दिया क्यों गेह?
चलती आँधी स्वार्थ की, नष्ट परस्पर नेह।
मानसिकता लोभ ग्रसित, क्यों मानव लाचार ।
सारे रिश्ते बेच कर , हुआ मनुज बेजार ।।
पौरुषता है गुम कहाँ, लापता स्वाभिमान
लज्जा किसी की न रखो , करो रोज अपमान ।।
अभिभावक बेघर हुए ,कहाँ गया घरबार?
भिजवा वृद्धाश्रम दिया, बेटे धक्के मार।
संस्कार बेकार गये ,,हिय में क्यों है ताप ?
कुसंस्कारी पूत हुआ,व्यथित आज माँ बाप।
धन दौलत के लोभ में,मनु क्यों करे नुकसान?
कौड़ी जाए संग कब, ले संग पुण्य का दान।।
रिश्ते माया पर टिके,कब चढ़ते परवान?
प्रेम हुआ अनमोल है,मूरख तू यह जान।
बने पराये मीत जब,किसे दिखाए दर्द ?
बीवी के पल्लू छुपे , रहते हैं सब मर्द ।।
प्यास बुझाता रक्त से,मानव क्यो शैतान? ।
कटते बकरी भेड़ से,नीयत बेईमान ।।
गिरा जगत को गर्त में,मनु क्यों करता नाश?
कौड़ी भर औकात से, सिर्फ मिले उपहास ।।
उषा झा
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