Tuesday 21 January 2020

मुदित हिया पिय साथ


दोहा सृजन
 तीर चले जब नयन से, हर ले सारे चैन ।
 आतुर है मन बावरा , नागिन लगती रैन ।।

 घायल कितने शूरमा , देख मद भरे नैन ।
 प्रीतम पर मोहित जिया,छलक रहे मृदु बैन ।।

 सजन गए परदेश हैं , अब दिन रैन उदास ।
 मोती झरते नैन से , टूटे दिल की आस ।।

 फेर लिए मुख जब पिया , लगे हृदय आघात ।
अंगार भरे नयन में ,  किसे कहें  उर बत  ।।

 नेह भरे नयना मिले , हृदय भरे अनुराग ।
 अंकुर पनपा प्रेम का , कुसुमित दिल के बाग ।।

 थाम डोर दिल के लिए , छुटे नहीं अब हाथ ।
 नैन में उमंग भरे ,मुदित हिया पिय साथ ।।

 चंचल नयना मिल गए, भाया पिय का रूप ।
सुन्दर चितवन,मृदु बोल , दिल को लगे अनूप।।

 लक्ष्मी विराजे घर में , सजे अधर मुस्कान 
हँसी खुशी घर दीन भी, मिले प्रेम की खान ।।

गए भुला दुख आपना, देखी जो मुस्कान ।
कलुषित मन निर्मल हुआ,दूर भगा अभिमान।।

हाथ मुस्कुराकर बढ़े , जो देते सम्मान ।
घुलती मिश्री हृदय में,बढ़ता सबका मान  ।।

 बिगड़े काम सँवारता, नफरत होती  दूर ।
नहीं पूछ हो रूप की,गुण की चाह जरूर ।।

मिलते दुश्मन भी गले ,मुख पर हँसी बिखेर
तार दिल के जोड़ दिया , हँस कर आँखें फेर ।।

मुग्ध नयना  प्यार भरे , मुख पर है मुस्कान ।
देख पिया प्रफुल्लित मन, हृदय करें रस पान ।।

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