धुन -इक रास्ता है जिन्दगी जो थम गये तो कुछ नहीं ।
रदीफ - तेरा
काफिया आ
2212 2212 2212 2212
दीवानगी हद से बढी है संग अब भाता तेरा ।
सावन अगन दिल में बढाए फासला खलता तेरा ।।
दर्पण दिखाता नूर रौनक है बढी पैगाम सुन ।
पट खोलती पथ देखती, दिल जो करे सजदा तेरा।।
साथी बिना जीवन अधूरा अब सफर कटता नहीं ।
है खूबसूरत जिन्दगी बस साथ जो मिलता तेरा ।।
दुश्वारियाँ भी खत्म मनके पास जब मनमीत हो।
हो निशि घनेरी मन निडर कर थाम पग बढता तेरा ।।
हो खत्म रोगों का समर ये दूरिया भाती नहीं ।।
उर मुस्कुराता जब हिया संदेश शुचि सुनता तेरा।।
बस खत्म हो मेरी परीक्षा कामना अभिसार के ।
जीवन भँवर मिल पार करना आस दिल करता तेरा ।।
आँगन उषा कबसे खड़ी नव रंग में भरना तुझे ।
स्वर्णिम पहर नूतन सवेरा द्रार पर आया तेरा ।।
उषा झा देहरादून
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