विधा- गजल
काफिया- आते
रदीफ- तुम्हें
मापनी- 2122 2122 2122 212
मांग लाई देव से हर जन्म के नाते तुम्हें ।
साथ जीना साथ मरना राज बतलाते तुम्हें ।।
ईश भी चाहे अलग करना, वही युग युग अड़ी।
सत्य मेरा प्रेम, प्रतिपल शुचि हृदय पाते तुम्हें ।
मांग की लाली सदा दमके, यही वर मांगती।
मेंहदी में अक्स तेरा, नूर नव भाते तुम्हें ।
सात बंधन से बँधी रिश्ता फले फूले सजन।
दो जहाँ का संग प्रियतम, सत्य समझाते तुम्हें।
हाथ कंगन से भरी हो, पाँव पायल नित बजे।।
प्राण त्यज हम मृत्यु से भी छीनकर लाते तुम्हें
वर्ष बीते पर नहीं बीती हमारी मान्यता ।
पूजती बड़ को अमर सौभाग्य के वास्ते तुम्हें ।।
चाँद सा चमके पिया यश कृति, हुई सच कामना ।
सावित्री सी है उषा उर आर्द पिघलाते तुम्हें ।।
उषा झा स्वरचित
देहरादून उत्तराखंड
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