Friday 31 July 2020

हक कभी प्यार का अदा न हुआ

मिसरा - हद तो ये कि हक अदा न हुआ।
काफिया - आ
रदीफ - न हुआ
मापनी - 2122 1212 22

रैन क्यों खुशनुमाँ बता न हुआ ?
यार का प्यार भी दवा न हुआ

आस के दीप बुझ नहीं जाए ।
मरहवा दिल कभी हवा न हुआ ।।

नफ़्स प्यासा तरस रहा देखो ।
अंजुमन प्यार जो ,जवाँ न हुआ।।

यूँ मुहब्बत खलिश बढा देता,।
अब तलक दिल सनम खफा न हुआ ।।

आरजू  सिर्फ  थी  मिटे  दूरी ।
ख्वाब पूरा कभी मिरा  न हुआ ।

जीस्त तन्हा भटक रही बरसों ।
इक मुलाकात पर फिदा न हुआ।

तिश्नगी  बढ  गई   दिलों  में है ।
जुस्तजूँ नैन आशना न हुआ।।

दिल तडपता सदा मिले  दिलबर ।
हद तो ये कि हक अदा न हुआ।

दिल उषा का मुरीद है तुम पर ।
बज़म में ईश्क रूसवाँ न हुआ ।।

मरहवा - प्रसन्नता

उषा झा देहरादून

No comments:

Post a Comment