Monday 20 July 2020

ईश्क कर पछताये बहुत


मिसरा- "दिल लगाकर हम तो पछताये बहुत 

वज़्न- 2122 , 2122, 212
अर्कान - फ़ाइलातुणग फ़ाइलातुन फ़ाइलुन  ।
बह्र का नाम।- बह्ररे रमल मुसद्दस महफूज।

इल्म जिनके पास इतराये बहुत ।
चेहरे पर तेज मुस्काये बहुत।
                             
ईश्क करके हो गया बीमार हूँ ।
दिल लगाकर हम पछताये बहुत

मर मिटे थे एक दिन मुझपर तुम्हीं ।
प्यार करके आज क्यों पछताए  बहुत।।

शाद अज़मत  जिन्दगी में जब रहे ।
तब मुहब्बत नैन छलकाये बहुत।।

अम्न हो जग राह दिखलाना जगत।
देश पर कर नाज, जग भाये बहुत ।

हर अकूबत सोच अख़्तर से मिले ।
धीर रख ,संकट को सुलझाये बहुत। 

शोखियाँ बिजली गिराती है उषा ।
आशिकी तो रूह भरमाये बहुत ।।

शाद- प्रसन्नता
अज़मत- प्रतिष्ठा, आदर
अकूबत- यातना
अख्तर- भाग्य

उषा झा देहरादून

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