Monday 8 February 2021

मिश्री की डली हिन्दी

मीठी डली लगे मिश्री सी ।
मृदुल सरस मन भावन हिन्दी।।

केसर चंदन की ये बिन्दी ।
मस्तक सजा रहे भारत का ।।
बंधन नही किसी धर्म पंथ का ।
बनी सदा पहचान हिन्द का ।।
करे नेह हर इक भाषा से ।
मौन रहती आंग्ल भाषा से ।।
घटा रहे संतान मान क्यों? ।
राष्ट्र भाषा पर अभिमान हो ।

वेद ऋचा सी पावन हिन्दी ।
मृदुल सरस मन भावन हिन्दी।

गौरव गान युगों से गाती ।
हिन्दी जग में शान बढाती ।।
अक्षुण रहे धरोहर सम्मान दो ।
हिन्दी को नवल पहचान दो ।।
निकली संस्कृत के गर्भ से ।।
भारतीय प्रीति रख संस्कृति से ।।
हिन्दी हर भाषा की जननी    ।
मिले अधिकार लक्ष्य हमारा ।
होगा अब विस्तार तुम्हारा ।।

छंद रचो नव गायन हिन्दी ।
मृदुल सरस मनभावन हिन्दी।।

*उषा की कलम से*
देहरादून उत्तराखंड

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