Saturday 13 February 2021

महि पर पधारो रघुवर

योग छंद
12/ 8 अंत 122 से अनिवार्य

हे रघुनंदन महि पर , आज पधारो ।
माँ बहनों की अब तो , लाज बचाओ ।

शत्रु घनेरे छलते , आज सुता को
रावण रूप बदल के ,हरे सिया को ।
दानव बने मनुज ये, शोणित पीते ।
संहार करो प्रभु ये, क्यों कर जीते ।।
जग को मर्यादा का , पाठ पढाओ ।

हे रघुनंदन महि पर, आज पधारो ।
माँ बहनों की अब तो,लाज बचाओ।

राम पिता की आज्ञा ,से वन धाये ।
ऐसे पूत कहाँ इस, जग पितु पाये ।।
तज गए कलयुगी , पूत प्यारे ।
वृद्धाआश्रम बैठे , बाँट निहारे ।।
बहते अश्रु मातु के, मान दिलाओ ।

माँ बहनों की अब तो,लाज बचाओ।
हे रघुनंदन आज महि पर,आज पधारो।

बनते बैरी भाई , रिश्ते भूले।
टूटी मन की शाखें ,कैसे फूले।।
छलते दीनों को ये, हुए अभागे ।
स्वार्थ हुआ हाबी ,नीति त्यागे ।।
रोते दीन हीन के, धीर बँधाओ ।

हे रघुनंदन महि पर , आज पधारो ।
माँ बहनों की अब तो , लाज बचाओ ।

*उषा की कलम से*
देहरादून

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