Sunday 14 February 2021

आह में मधुकर

आनंद छंद ये मात्रिक लय युक्त छंद है ।
2122 212

रात देखो चाँदनी।
नाचती है मोरनी ।।
झूमती कलि बाग में ।
आज भँवरे राग में ।।

चातकी सी नैन में ।
आस सजती रैन में
स्वर्ण किरणें भोर में
मोद मन आलोक में।

तितलियों की चाह में
भृंग सारे आह में ।
हो कली अब अंक में ।
रात मधुकर पंक में ।।

भ्रम का मन अंश हो ।
वेदना के दंश हो ।
मन वियोगी द्रोह में ।।
स्वप्न खोये शोर में

रात काली भी ढले
प्रेम सच्चे बस मिले
धीर धरते जो सदा
शूल दिल से हो जुदा

*उषा की कलम से

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