Monday 1 March 2021

विरांगना

विधा - चामर छंद
212 121 212 121 212
सिंहनी निर्भीक, केसरी ध्वजा निहारती ।
युद्ध भू सुहाग चिन्ह कंठ हार धारती ।
शंख नाद ओज के निनाद शस्यश्यामला ।
कर्मयोगिनी पुकार राष्ट्र हीत निर्मला ।

वेदमंत्र वास था हिया सुविज्ञ विश्व का
राष्ट्र प्रेम का उबाल जाँ निसार कर्णिका ।
पापनाशिनी कटार हस्त धार भैरवी ।
माँ प्रतंत्रता हटे कराल शौर्य गौरवी ।

रूप है विराट भारती दिखा सुपंथ दी।
पावनी महान भाव दिव्य राष्ट्र तंत दी ।
दुष्ट रौंद युद्ध जीत लक्ष्य साध कालवी।
मौत से डरो नहीं करो सुकर्म मानवी।

वीरता विशाल आन बान शान भारती
शूर वीर शौर्य गीत को सुना हुकांरती।
थाम ली विरांगना ध्वजा, निसार प्राण को ।
देश धर्म है,करो सुदान मातु शान को।

सत्य पंथ पे चली बढी मशाल हाथ ले ।
देश प्रेम है बडा चली समूह साथ ले ।
ध्यान लक्ष्य पे टिका सुवीर राज त्याग की ।
दुष्ट नाश को बहा प्रवीर रक्त पातकी ।

*प्रो उषा झा 'रेणू'*
देहरादून

कर्णिका

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