Thursday 31 August 2017

इश्क

  आरजूँ इश्क की तुमसे मुद्दत से की
  ये तुम पे फैसला छोड़ दिया है कि ,
  तुम अहले वफा के बदले इश्क को
   रूहानियत से बाँध लो या बेवफाई
   का जख्म दे,जग में करो रूसवाईयाँ  ।।

   मैंने खुद को किया इश्क के हवाले
   प्रीत का एक घरौंदा अपने दिल में ,
   जाने कितने ही शिद्दत से बनाया है
    तुम्हारी मूरत को बसा लिया उसमें
   बना दिया है खुद को तेरी परछाईंयाँ  ।।
    
   जाने कैसी येअनकही रूहानी एहसास
   अंकुर इश्क का पनपा,अजब है प्यास
    प्रिये दिल में छुपे कई अनछुये जज्बात
   शब्द लुप्त है किन्चिंत लव थरथराता
   उन्माद में इश्क के,लगे हंसी कायनात ।।
     
   सज़दा की तेरी राह,रूह की रौशनी से  
   तुम जितने भी दूर चले जाओ मुझसे ,
   मुमकिन नहीं निकलना परछाईंयों से 
   चाहे कितने ही कोशिश कर लो पर तुम
  निकल न पाओगे मेरे इश्क की कशिश से..।।

Wednesday 30 August 2017

चुनौतियाँ

ये जीवन उलझनों का जंगल
जाने कितने ही आए मुश्किलें
टेड़े मेड़े रास्ते से
 गुजरना ही पड़ता
है लक्ष्य पर निशाना
तो मुश्किल भी नहीं
 बचके निकलना ।।
ये जीवन उलझनों का जंगल ..
कभी कभी संकटों के पहाड़
आ जाते सामने
दिखता न मंजिल ..
तो फिर बड़े आराम से
सोच की गाड़ी का गियर
तिक्ष्ण स्फूर्ति से संभल के
अवरोधों से निकालना पड़ता ।।
ये जीवन उलझनों का जंगल ..
यहाँ हर एक को झेलना ही पड़ता
अपने हिस्से के तकलीफों को
जिन्दगी जीने का मजा तभी
 जब हो चुनौतियों से सामना ।।
ये जीवन उलझनों का जंगल ..
रब तू दे चाहे लाख परेशानियाँ
पर मैं भी कोई हार मानने वाली नहीं
करती तेरी चुनौतियों को स्वीकार
झेल लूँगी तेरे हर एक वार को ।।
ये जीवन उलझनों का जंगल ..



 

Tuesday 29 August 2017

संवेदना

सुबह चीख पुकार सुन
अचानक नींद खुली
मैं हैरत में पड़ गई ..
आखिर माजरा क्या है
पड़ोसियों से पड़ताल की,
तो जो पता चला
सुन मै बिस्मित
और हतप्रभ रह गई ..
एक पिता ने रिश्ते को
शर्मशार कर
11या12साल की
अपनी बेटी से ही
कुकर्म कर डाला ..
लड़की के चीख सुन
उसकी माँ ने
बड़ी मुश्किल से
उसको अलग किया
माँ बेटी के रोने
की आवाज सुन
मुहल्ले वाले जमा हो गए ..
फिर पुलिस चौकी में 
इत्तला दिया गया ..
पुलिस वाले बाप को
पकड़ कर ले गए
इन सब को सुन
मैं सुन्न सी रह गई..
एकाएक मेरे कदम
उसके घर की ओर
बढ़ने लगा ..
 लड़की की माँ के पास
पहुँच ठिठक सी गई ..
संवेदना में कुछ शब्द बोलूँ
होंठ खुल न पाए..
लड़की के कातर नयन देख
मैं भीतर से हील गई ..
जानवर भी अपने बच्चों को
शत्रुओं से बचाते..
संवेदनहिनता की हद हो गई ..
अगर घर के अंदर ही
लड़की सुरक्षित नहीं
तो बाहर के दरिन्दे से
कौन बचाए ..

Monday 28 August 2017

मरम्मत

आज कारपेंटर को बुलाया
कई दरवाजे और खड़कियों
के पेंच ढ़ीले पड़ गए थे
कीचेन के कबर्ड़ लग नहीं पाते
सो मरम्मत करवाना जरूरी लगा
कारपेंटर को दिखाया
देखकर उसने कहा
 ठीक होना मुश्किल है
नया बनवा लो
मैंने कहा कोशिश कर लो
उसने थोड़ी मेहनत की
ठोक पीट की 
कीचेन व दरवाजे हो गए ठीक
पहले जैसे ही हो गया
कारपेंटर के काम देख
मन ही मन सोचने लग गई
लकड़ी को काट पीट कर
इसने कितने आसानी से
मरम्मत कर दिया है
पर हमारे शरीर के कोई अंग
अगर ठीक से काम न करे
तो ठीक होने में कितना
अधिक समय लग जाता ..
कभी कभी पूरा ठीक
भी नहीं हो पाता..
पर दिल में पड़े अनगिनत
घावों को भरना नामुमकिन होता
शरीर के कल पूर्जों का
मरम्मत हो भी जाता
मगर दिल का मरम्मत मुश्किल होता ..


Sunday 27 August 2017

परिवर्तनशील मौसम

पतझड़ में यूँ उदास न हो
जी को यूँ न बेजार करो
कुछ पल का ये मौसम है
आके यूँ चला जाएगा 
मौसम का परिवर्तन निश्चित
ही होता ..
पतझड़ में यूँ उदास न हो ..

दिल को सदाऐं देने आते
ये बे मौसम का पतझड
खुशियों को बिखराके
उड़ा ले जाते ख्वाबों को
पर साख पर पत्ते फिर से आते ..
 पतझड में यूँ उदास न हो ..

पौधों में नए कोंपले आ जाते 
बागों में कलियाँ फिर से खिलती 
भँवरे के गूँजंन से बगिया गूँजती
 मोगरे की खुशबू जहां में छा जाती
बहारों का मौसम फिर से आता
पतझड में यूँ उदास न हो ..

मौसम का बदलना है लाजिमी
जीवन की नियति बदल न सकती
जिस पर जोर चले न अपना ..
 फिर क्यों न दें अपनी स्वीकारोक्ति ..
पतझड में यूँ उदास न हो ..



Saturday 26 August 2017

प्रपंची बाबा

हे अज्ञानी भक्तों
करो खुद पर रहम
बचा लो खुद को
व अपने बच्चों को
बाबाओं के प्रपंच से ..
 जाने कैसे आ जाते सब
इन बाबाओं के झांसे में
इस कलियुग के सारे
कपटी बाबा ढ़ोगीं और
धूर्त होते हैं ..आशा राम
हो या राम रहीम..
भोले भाले भक्तों को
फूसलाकर बना देते हैं
हुक्म का इक्का..
जो भी जी में आए
वो करवा ले...
एक बाबा वो भी थे
राम कृष्ण परमहंस
व स्वामी विवेकानंद
जिसने युग दृष्टा बन
अज्ञानता व कूपमंड़ूता
के तिमिर पथ को उज्वल
तरंगों से प्रकाशित कर
मानव को सुपथ का राह
दिखा भर दिया जीवन में
उजियारा ..

Friday 25 August 2017

जिजीविषा

वक्त के साथ लड़ते हुए
पहलू में खुशियाँ समेटने के लिए
जीने की चाहत भी होनी चाहिए ..
माना कि जिन्दगी ने हर वक्त
हर कदम किया है तुम्हें परेशां ..
छिन लिया है तेरी सारी खुशियाँ
रूलाया है तुझको हर घड़ियाँ ..
पर तू इतनी बूजदिल भी तो नहीं
जो हार मानकर छोड़ दे जीना ..
वक्त के साथ लड़ते हुए ..
पहलू में खुशियाँ समेटने के लिए
बस जीने की जिजीविषा कभी
कम न हो पाए ..
जिन्दगी के पंखो को तू दे परवाज
फिर देख खुशियों की उड़ान से
तेरी पहलुओं के सारे गम कैसे
 रितने लगेंगे ..
प्रीत के रस में तेरा ये आँचल भींग
जाएगा ...
कभी कभी जिन्दगी भी ऐसी इम्तिहान
 लेती है ..
इंसान खूल के साँस भी नहीं ले पाते ..
पर कहते हैं न जब सारे रास्ते बंद हो जाए
तो उपरवाले पे छोड़ देना चाहिए ..

Thursday 24 August 2017

तीन तलाक

हमारी मुस्लिम बहनों को
खुद पे फक्र करने करने के
दिन आ गए  ..
हम औरतें कोई वस्त्र नहीं
जो कभी भी बदलकर नए
ले आए ...
बी आर चोपड़ा जी निर्मित
फिल्म निकाह सन् 1982
में तीन तलाक पर आवाज
उठाया गया ...
इतने बर्षों से जारी जंग में
अब फैसला आया  ..
तीन तलाक के कारण उन
बहनों को असीम दुख
झेलना पड़ता ..
एक ही झटके में आसमां से
जमीन पर गिर पड़ती ..
संभलने का जरा भी मौका
न मिलता..
वहीं पुरूष निरंकुश हो जाते
और मनमानी करते ..
ई मेल फोन व्हाटसप पर
तलाक का फरमान भेज देते ..
समाज में उन्हे सम्मान और
समानता का अधिकार मिला ..
मुस्लिम बहनों की जीत से हम
सभी महिलाओं की भी जीत हुई ...
सबको बहुत बहुत शुभकामनाएँ ..

Wednesday 23 August 2017

प्रलय की बाढ़

प्रलय की बाढ़ आई
सब कुछ डूबा ले गई ,
नैनों में नीर भर गई ..
छीन ले गई सबके चैन
दर्द दे गयी जाने कितने ।।
 प्रलय की बाढ़ आई...
सालों से सिंचत किए ,
एक एक पाई ..
तनिक न बचा जमा पूँजी ..
कुछ न छोड़ा..
घर द्वार व खेत खलिहान
सब कुछ बहा ले गई  ।।
  प्रलय की बाढ़ आई...
जाने कितने ही लोग हो गए बेघर ,
कुछ न कर सके,बैठे रह गए
 हाथ पर हाथ धर ..
जाने कितनों की जानें गईं  ..
क्या बच्चे? क्या बूढ़े और जवान?
ईश्वर की लीला अपरम्पार  ।।
 प्रलय की बाढ़ आई...
दीन हीन बन गए सबसे लाचार !!
 सोच में पड़े हैं अब कैसे करें गुजारा ?
 कृषक सिर पर हाथ रख रो रहे
  यही सोच रहे ..
 कैसे  करूँ अब खेती?
 बीज भी न बचा घर पर ।।
प्रलय की बाढ़ आई ..
मदद की किससे लगाऊँ गुहार ?
सब तंत्र और मंत्र हैं बेकार ..
करते हैं सब झूठ फरेब की खेती
तुम ही लो भगवान सबको उबार ।।
प्रलय की बाढ़ आई ..

Tuesday 22 August 2017

दृढनिश्चयी पथिक

वो सूनसान विरान
अजनबी से बेगाने रास्ते ,
बिना कोई सहचर ..
एकाकीपन से भरे राहों
में गुजरता जा रहा है ..
वो दृढनिश्चयी अडिग पथिक ।।
 सघन वन अति दुर्गम
बिषमताओं से भरा ..
पथ है कठिन और दुश्वर
पर बढते चले जाते राहों में
वो दृढनिश्चयी अडिग पथिक ।।
चाहे  हो कितने ही पथरिलि ,
लाख काँटे बिछे हों राहों में ..
पर हिम्मत से बढते चले जाते
वो दृढनिश्चयी अडिग पथिक ।।
कितने ही आँधी और तूफान आए
चाहे रास्ते हो कितने ही बर्फिली ,
मंजिल दिखाई भी न दे रहा हो ,
पर रूकते कहाँ हैं ?
वो दृढनिश्चयी अडिग पथिक ।।
है लक्ष्य चलते चले ही जाना ,
राहों में कितने ही अंधियारा हो
या हो अंतहीन घोर सन्नाटा ,
पर डगमगाते नहीं कदम ..
वो दृढनिश्चयी अडिग पथिक ।।
जिसका एक ही हो लक्ष्य
कुछ भी हो, पाना है मंजिल..
उसे डराते नहीं राहों की दुश्वारियाँ
वो संताप नहीं करते अपनी हार से ..
वो दृढनिश्चयी अडिग पथिक ।।

Monday 21 August 2017

प्रकृति के रूप

प्रकृति के रूप अनेक ..
कभी धधकती धरा को
बूँदे अमृत बन ,
बरसा जाती  ।
देख बारिश के बूँदे ..
मोर नाचने लगता ..
पपीहे मधुर संगीत
छेड़ देता ..
सजनी को साजन से
मिलने की आतुरता
बढ़ा जाता ।
प्रकृति के रूप अनेक ..
कभी बिन नीर के
 पशु और पंछियाँ
विह्वल हो जाते
सूख रही नदी नाले
ताल तलैया ,और
पेड़ पौधे ..
दो बूँद जल के लिए
 तरस ही जाते ।
प्रकृति के रूप अनेक ..
कभी बारिश बन
प्रलयंकारी ..
अपने रोद्र रूप से
जिन्दगी को तहस
नहस कर जाती ..
ताण्डव नृत्य दिखा
नीर बहा जाती ..
धरा के सभी जीवित
आधार शीला को ।
प्रकृति के रूप अनेक ..
जल के प्रचंड वेग
बन बाढ की विभत्ष
 विभिषिका
  जीने के लिए
 कुछ न छोड़ती
उम्मीद की किरणें
डूबा जाती
कर जाती बेजार
जिन्दगी को...
प्रकृति के रूप अनेक ..

Sunday 20 August 2017

सप्तरंगा

अद्भुत कलाकारी
रब की है अनुरंजित
सप्तरंगी इन्द्र धनुष
मनोहारी..
 है ये कौन चित्रकार?
 कर देते अचंभित !
 नभ पे देते उकेर ..
 अति सुंदर चित्रकारी ।
 कौन से रंग और किस
 तूलिका से जाने कैसे ?
  खूबसूरत रंग भर देते
 मनमोहक छवि प्यारी ।
 मन भी हो जैसे सप्तरंगा..
 खुद में समेटे रंगों को सारे
जिन्दगी के पन्नों को रंगने
की कोशिश में प्रयत्नशील
रहता बार बार ।
जीवन है खाली पन्ना    
 लो जीवन को भर
 खुशियों के रंगों से ..
शायद यही हो रब
 का इशारा !

Saturday 19 August 2017

अपनों का छलावा

आज कल आत्मियता कम
दिखावा अधिक है लोगों में ..
जुबान पे मिठास होते हैं
खंजर भोंकते हैं पीठ में ..
सारे रिश्ते बेमानी लगते जब
 अपने ही अपनों को छलते ..
लोग हर रिश्ते को कागज के
 चंद टुकड़ों से तौलते ..
पूर्व कल्पित विचार से ही
दूसरे को आंकते ..
जानें क्यों अपनों को ढगते ..
निहित स्वार्थ की खातिर ..
तुच्छ लाभ के लिए एक दूसरे
का इस्तेमाल करते ..
क्षणिक सुख की खातिर ..
एक दूसरे के पाँव खिंचते
न जाने लोग क्यूँ कर
ऐसा करते?
न जीने का खुद का सलिका
न चैन से जीने देते दूसरे को ..
चंद सिक्कों से ही लोगों के
साँसो को खरीद लिया जाता ..
किसी की सफलता देख
सब खुश होने के बदले
जलने लगते ...
लोगों की फितरत होती है
 दूसरे को पीछे धकेलने का ..
लोग सह नहीं पाते छलावा
अपनों का ...

Friday 18 August 2017

मौत

नन्हें नन्हें पग से चलते रहे
पथिक मिलके बिछुड़ते रहे
राहों में ...
रह गए अकेले खाली हाथ
लेके जीवन के मेले में ..
जाने वाले चले जाते
देकर कई अमिट याद ..
दरवाजे पर खड़ी है मौत
चलता कहाँ किसी को पता ..
कर जाते हतप्रभ और विस्मित ..
ब्रान्डेड कपड़े आधे दर्जन
लाए थे पापा साथ में
अर्धकुंभ नहायेगें और
बेटा बेटी के साथ घूमेंगे
देहरादून में ..
ऐसी मौत पे धीरज का बाँध
टूट ही जाता है ...
दिल में हुक सी उठती है
मन उद्वेलित होकर हहाकर
कर उठता है ..
मेरी कुछ ऐसी ही मनोदशा
सुनकर मौत ..

Thursday 17 August 2017

यादें

रहो हमेशा मुस्काते
कर याद मीठी बातें
होनी पे किसी का
बस नहीं चलता ..
जीवन की खुशियों को
दामन में भर लो
जी लो हर एक पल 
जाने कब ये पल
बन जाए सुनहरी याद ..
जिन्दगी के हसीन पल 
छोड़ जाती है जीवन में
एक खूबसूरत सी याद ..
और यही पल जीने की
एक आस भी दे जाती है ...
खुबसूरत यादें हमेशा
साथ रह जाती है ..
सब कुछ बदल जाता
रिश्ते और रास्ते भी ..
नदियाँ और झील
शहर और गाँव भी ..
बस एक एहसास ही है
जो कभी नहीं बदलता है..

Wednesday 16 August 2017

प्रयास

प्रयत्न अगर सही दिशा में
की जाए तो
सपनों को हकीकत में
बदलते देर नहीं लगता ..
राही तू कर बुलंद अपने इरादे,
 मन में ठान ले ..
चाहे हो कितने ही कठिनाइयाँ..
हर हाल में पाना है मंजिल ..
जी जान से जुटे रहो तो फिर कोई
बूलंदियों को छूने से रोक ही नहीं सकता ..
चाहे लाख हो राहों में दुश्वारियाँ
कदमों में पड़ गए हो छाले ..
मन भी हो चाहे घायल ..
पर हौसले रखने वाले हारते नहीं हैं..
चाहे कितने ही आँधी और तूफान हो.. 
साहसी नाविक टूटे पतवार से भी नाव 
 किनारे पर ले ही आते ..
गर हो प्रयास में सकारात्मकता ..
हो सपनों को उड़ान देने की हिम्मत ..
तो फिर मंजिलों को हासिल करने से 
कोई मजबूरियाँ रास्ता रोक नहीं सकता ..

 

Monday 14 August 2017

स्वधीनता दिवस

आज है दिवस देश के स्वधीनता का
 करें सब गुणगान ..
 गीत सब गाओ आजादी के गौरव गान
शहीदों के नाम ..
कमियों को निकालना
कोई और दिन ..
जग में हमारे देश ने
उचाँ किया है नाम अपना
अब भी बहुत सारे काम है करना..
 एक ही माँ के कोख के बच्चे हो
जाते हैं भिन्न ..
वैसे ही मुट्ठी भर लोग कर
रहे शैतानी..
भारत माँ की छवि को पहुँचा
 रहे नुकसान ..
आतंक और जातियता का कहर
 है बरपा रहे ..
बेगुनाहों और मासूमों पे जुर्म है
ढाह रहे ..
मर मिटेगें भारत माँ के हर बच्चे सम्मान के खातिर
देश के वीर सपूतों देंगे जवाब इन कायरों को
करेंगें सफाया इन दुष्ट दानवों के बदनियती का
हम सब मिल कर बढाएँगे और मान देश का 
झूकने ना देंगें कभी अपने तिरंगा को ..

Sunday 13 August 2017

धीरज

दुख और सुख
जीवन में आना
हरहाल में तय
मिलन और विरह
से सबको वास्ता
जरूर पड़ता है
जिन्दगी में कोई
भी चीज हमेशा
साथ नहीं होता ..
स्थिति कैसी भी हो
तैयार रहना चाहिए
निपटने के लिए
मजबूत रखें दिल
पल में सब कुछ
बदल जाता है
बरसों साथ रहके भी
रिश्ते छूट जाते हैं
मुशीबत में साया भी
साथ छोड़ देता है

पर धीरज हो संग
मिल जाता मंजिल
दृढ़ इच्छा शक्ति 
और हिम्मत कभी
किसी इन्सान को
हारने नहीं देता है
जब जीवन दुख के
तुफानों में घिर जाता
भरोसा और विश्वास
डगमगाने लगता
मजबूत इरादे वाले
हर खोयी चीज पुनः
प्राप्त कर लेते हैं

जिन्दगी की राहों में
चाहे हो कितने
ही आए मुसिबतें..
फिर भी हिम्मतवाले
उम्मीद का दामन
कभी छोड़ते नहीं हैं
मुशीबत में भी उसका
निखर जाता अस्तित्व

Saturday 12 August 2017

वतन के रक्षक

स्वर्ग से सुंदर देश हमारा
लगता हमको जाॅ से प्यारा
नाज हमें अपनी धरती माँ पर
बहा देंगे लहूँ का कतरा कतरा ..
दुश्मनों को अपनी धरती लाल
न करने देंगे ..
भारत माता का बच्चा बच्चा दे देंगे
अपनी कुर्बानी ..
दुश्मनों और गद्दारो तेरे नापाक इरादे
कभी न होगा पूरा ...
माफी न मिलेगी तुझको हो जाओ
खबरदार ...
हर एक इंसाॅ कर देंगे देश पर खुद को
न्योछावर ..
फौलादी जीगर है हमारी,मोम के पुतले हैं
नहीं हम..
वतन की आन बान शान की रखवाली करने
में हम हैं सक्षम ..
व्यर्थ न होंने देंगे हम कुर्बानी अपने शहीदों के ..
आजादी हमें हैं सबसे प्यारी जिसे वीरों ने दी 
अपने जान लुटाके ..
आओ सब मिलके गनु गुना ले
आजादी के गीत गा ले ..

Friday 11 August 2017

हमनफज

बेहद दिल अजिज
  वो हमनफज ..
 एक अमिट छाप
छोड़ गए
रह गए सारे 
अनछुए जज्बात ...
वो भीनी भीनी यादें
वो मीठी मीठी सी
कुछ कही अनकही
बातें  ... 
दिल के एक कोने में
अपना घरौंदा बनाकर
वो हसीन दिलकश
हमनफज ..
एक मीठी चुभन दे
ले गए
सारी हसरतें ...
 भींगी भींगी सी
एहसास ...
हलचल सा मचा
रिश्ते को अपनी
गर्मियों से पिघलने
को आतुर कर देता ..
 एक खलिस सी
रह जाती  ..
दिल मिलने को
 बैचेन कर देता  ..
वो हमनफज ..

Thursday 10 August 2017

दिल से जुड़े अपने

अपनों के याद आते ही 
 आँखों में आँसु आ ही जाते  ।
अपने मन की व्यथा बयाँ करने के लिए
जो सब कोई अपने दिल में छुपाए
रखकर हँसते रहते हैं इस संसार में ..
  अपनों से ही अपने आँखों को रहते चुराए ...
  जिस रिश्तों की परछाईंयो में हम पनपते
 उसी की जड़ को काटते रहते ..
वो स्नेह के बंधन जिसे चाहकर भी खुद से
अलग नहीं कर सकते ..
उससे ही आँखें फेर, दिलों में मिलों दूरियाँ
बढ़ा लेते ..
चाहे लाख कोशिश करो उन यादों को खरोंचने की..
पर वो जिस्म और जान से ऐसे घुले होते जो मुश्किल
से भी नहीं निकल सकते ..
क्यों न हम जीवन के ऐसे रिश्ते की कदर करें ..
जिन्हे मनमस्तिष्क से निकालना असंभव होता..
संभाल के रखें जो हमेशा पास होते वो दिलकेरिश्ते ..

Wednesday 9 August 2017

खुशी के पल

जीवन के खुशियों को
अपने दामन में भर लो
जी लो हर एक पल को
जाने ये पल मिले न मिले..
कोशिश भी करें तो लौट के
नहीं आते वो गुजरे हुए पल ..
चाहे कितने ही जतन से संभाले,
फिर क्यों न हँसते हुए बिता लें
ये पल ...
जाने कब कौन बिछुड जाए
जिन्दगी के मेले से ..
जाने कब ये पल ..
सुनहरी याद बनकर रह जाए
  सो जी लो हर एक पल ..

खुशी के पल

जीवन के खुशियों को
अपने दामन में भर लो
जी लो हर एक पल को
जाने ये पल मिले न मिले..
कोशिश भी करें तो लौट के
नहीं आते वो गुजरे हुए पल ..
चाहे कितने ही जतन से संभाले,
फिर क्यों न हँसते हुए बिता लें
ये पल ...
जाने कब कौन बिछुड जाए
जिन्दगी के मेले से ..
जाने कब ये पल ..
सुनहरी याद बनकर रह जाए
  सो जी लो हर एक पल ..

Tuesday 8 August 2017

सफलता

जीवन सफल बने
तो  पाँव हो धरती पे
मंजिल पाने के लिए
एक एक सीढ़ी पर
संभल के कदम रखें ..
सफल होने के लिए
कभी भी किसी का
सीढ़ियों के तरह
इस्तेमाल न करें ..
ऐसी सफलता जो
किसी के हक मार कर मिले
किसी काम का नहीं होता
किसी के ख्वाब छिनकर
किसी के खुशियों को
रौंदकर मिले सुख
किसी के नयनों में
अश्क भरकर
जीत की खुशी
 मनाना बेकार है...
ऐसी सफलता
श्राप समान है...
जो दूसरे के स्नेह
और सुख के लिए ..
अपने सारे हक और
सुख को त्याग दे
असली विजयी वही
कहलाते हैं जो 
अपनों के खातिर
जीत के भी हार जाए ..

🌹🌹रक्षाबंधन🌹🌹

सबको  लगता अपना खूबसूरत परिवार
बहती है हरदम मायके में स्नेह की धार ..
कहती सब, मेरे भाइयों तू रहना हमेशा
सलामत ..
तेरी बहना दुआ रब से पल पल
यही है करती ..
राखी बाँध भाई के कलाई पे बहन प्रीत है
सजा देती ..
 रेशम की कच्ची डोरी से बाँध देती ..
भाइयों को उम्रभर अटूट स्नेह के जज्बातों से
भाई तू बहनों का मान सम्मान करना हमेशा
रहने न देना जीवन में कभी भी उदास
जब भी मायके की याद आए
तू दौड़े  लिवा लाना..
बचपन की वो यादों और कहकहों से  
 फिर एक बार रूबरू करवाना ...
कभी भी कोई गमों का झोका आए तू बनना
बहनों का हिम्मत टूटने न देना ...
सभी भाई बहनों का आए हर साल
अनोखा त्योहार रक्षा बंधन .

       
        

Sunday 6 August 2017

🌹🌹🌹मित्र 🌹🌹🌹

        
रिश्ते के झुरमुट में रात दिन घिरे रहते हैं ..
स्नेह प्रेमरूपी खाद पानी से सीचिंत
करते रहते हैं रिश्ते के पौधों को ..
जब तक सुख और सम्पनता हो रिश्ते
की बगीया हरी भरी रहती है ..
दुख की घड़ी आते ही छुमंतर हो जाते हैं
सारे नातेदार..
ऐसे दूर भागते हैं जैसे कोई छुआछुत की
बिमारी न लग जाए ..
मधुमक्खी के तरह साथ चिपकने वाले
ऐसे दूर भागते हैं जैसे पास आने पर
कुछ मांग न बैठे ....
###पर सच्चे मित्र ###ही ऐसे होते हैं जो
कर्ण के तरह साथ निभाते हैं ..
हर वक्त साये के तरह साथ चलते हैं ..
              🌹🌻 उषा 🌻🌹
सबों को मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ

Saturday 5 August 2017

क्षितिज

क्षितिज से सागर जब मिलते ..
एक विहंगम दृश्य बन जाता ।
नयनों में कई सारे भाव जगाते..
छवि प्यारी मन को बहुत सुहाती  ।
किसने रचा ये मनोरम संसार ?
मन ही मन मैं ये सोचती रहती ।
क्या ऐसा मोहक जग होगा ?
क्षितिज के पार जब हम जाएँगे ।
कौन जानता?
 कैसा होगा वो संसार ?
 जाने मन में आते कितने ही विचार ?
 फिर  मन ने कहा ..
 तू जी ले पहले इस जहान को ।
 खुशियों से भर ले अपने दामन को ।
  नभ के पार है जग कैसा?
 भला है किसे पता?
  जो है सामने उसे जान ले!
  जीवन के पल अनमोल !
  नेह लगा ले सबसे ..
 

Friday 4 August 2017

नियत समय

सही समय पर सूखी धरा
फूलों सी मुस्काती ..
लहलहाती है हरियाली
चहूँ ओर ..
नियत समय पर जीवन में
खुशियों की पंखुडियाँ
प्रस्फुटित होती है ..
धीरज से सिंचत करते रहिए
मन के पुष्प को मुरझाने न दिजिए  ..
चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ हो
खुद को कभी भी बिखरने न दें ..
चाहे लाख तुफाँ हो जीवन में
मन के किस्ती को डगमगाने न दें ..
समय और धैर्य से ही मिल जाता
हर मुश्किलों से निकलने का रास्ता ..

Thursday 3 August 2017

आत्म शक्ति

जीवन पथ है बहुत कठिन डगर
शेर सा जीगर रखकर
चलने वाले सबकुछ हासिल कर
खुशियों से राज करते जीवन पथ पर ।।
जीत से मन को खुशियाँ मिलती है
हार से जीवन में सीख मिलती है ।।
ये दुनियाँ कायरों को जीने नहीं देते
यहाँ सिर्फ सफलता की पूजा होती ।।
ऐ मानव काबू कर
अपने दुर्बलताओं पर..
खुद में आत्म शक्ति का संचार भर ..
तो अवश्य विजय पताखा फहराओगे
संसार पर..

Wednesday 2 August 2017

बसेरा

दिनभर की थकान मिटाने, रजनी के संग
छिप रहे दिनकर..
 संध्या नयनाभिराम दृश्य रचा नीरव निशा    
 की ओर, विदा हो रही धीरे धीरे ..
    पशु पंछियाँ सब लौट चले
   संग साथियों को ले
   अपने नीड़ की ओर ..
     शुकुन के दो पल की चाह में सब,
    कुछ क्षण ढूंढ ही लेते रैन बसेरा में..
 मुसाफिर दिन के कामों को निबटा
थकान से भरा, सुस्त और सधे कदम
 से लौट रहे घरों  की ओर ...
सजाकर कई सारे ख्वाब नयनों में ..
सुखद अनुभूति लिए चंद लम्हे जीने
की चाहत में ...
जिन्दगी की जिवंतता सुख दुख के
 साथी में ..
हर किसी की ख्वाहिशें प्रीत की छाँव
हो बसेरा में ..
 ऐ मेरे मालिक, रखना कृपा सबों पर
 बिछुड़े  न कोई , रहे न कभी कोई बेघर ..

Tuesday 1 August 2017

डूबते सूरज

उगते सूरज को सब नमन करते
जीवन में खुशियों की किरणें जो
भर देते  ..
डूबते सूरज को कौन पूछते
अपना ही साया का साथ जो
छुट जाता ..
दुर्दिन में जैसे सब छोड़ जाते ..
ये जीवन सुख दुख आँख
मिचौली है ..
सबके हिस्से में आनी है ..
सुख में न कोई इतराना ..
दुख में भी न घबराना ..
 हर शाम के बाद सुबह का
आना तैय है ..
वैसे ही दुख से भरे रैना का जाना
भी तैय है ...