रेशमी मुलायम ख्वाब
नैनों में संजोयेे बैठी हूँ
तेरे मिलन की आस में
कब से राहें देख रही हूँ
इन्तजार में जिया बेकरार
जाने कितना मचा रही है शोर
आँखिया पथरा सी गई मेरी
तोड़ कर वादे करना न बेआबरू ..
तुम बिन एक पल न गवारा
तेरे बदौलत ही खुशियाँ है सारी ..
तुझ बिन न अब मेरा गुजारा
रहना नहीं मुझे बिन तुम्हारे ..
बिन सजन के ये जग कितना सुना
तुमसे बिछुड़ के ये मैंने जाना
जुदाई का गम मुश्किल है सहना
अब रूह को भी चैन नहीं तेरे बिन ..
ये रूत भी कितनी है दिवानी
बेदर्दी को सुध नहीं आई मेरी
आ के पलकों पे बैठा लो न अपने !
छाया है नजरों में तेरा ही शुरूर ..
इन्तजार के लम्हें बड़े लम्बे होते
सच ही कहा था किसी ने मुझसे ..
करूँगी न कोई शिकवा शिकायत
अब आ भी जाओ पिय परदेशी ..
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