बीते लम्हें दिलबर की यादें दिला जाती
लबों पे फिर मीठी मुस्कान सी छा जाती
वो खूबसूरत शमां मैं कहां भूला पाती
हसीन यादों के सफर में यूँ चली जाती
जेहन में अब तलक ताजा है वो जज्बातें
उम्मीद जैसे मिलन की आस जगा जाती
रोज ख्वाबों में आके तू नींदे चुरा जाते
यादें फिर अश्कों से तकिये भिंगो देता
भूलने न दुँगी मैं हूँ ऐसी तेरी प्रियतमा
कराने को अभिसार भेजूँगी मैं मेघदूत
प्रीत न करना किसी के बस की नहीं बातें
सच्चे प्रेयसी उम्र भर मुहब्बत निभा जाते ..
उषा झा (स्वरचित)
उत्तराखंड (देहरादून)
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