Tuesday 17 July 2018

अभिसार

बीते लम्हें दिलबर की यादें दिला जाती
लबों पे फिर मीठी मुस्कान सी छा जाती

वो खूबसूरत शमां मैं कहां भूला पाती 
हसीन यादों के सफर में यूँ  चली जाती

जेहन में अब तलक ताजा है वो जज्बातें
उम्मीद जैसे मिलन की आस जगा जाती

रोज ख्वाबों में आके तू नींदे चुरा जाते
यादें फिर अश्कों से तकिये भिंगो देता

भूलने न दुँगी मैं हूँ ऐसी तेरी प्रियतमा
 कराने को अभिसार भेजूँगी मैं मेघदूत

प्रीत न करना किसी के बस की नहीं बातें
सच्चे प्रेयसी उम्र भर मुहब्बत निभा जाते ..

उषा झा  (स्वरचित)
उत्तराखंड (देहरादून)










No comments:

Post a Comment