Monday 9 July 2018

संयुक्त परिवार

नीलू को आज  मायके की बहुत याद आ रही थी ...उसका मन कर रहा था उड़कर चली जाएँ वहीं । घर के कोने कोने से उसे  अकेलेपन की बास आ रही थी ...।
शहर में ससुराल होने से रोमांचित वो विवाहोपरांत  बहुत ही खुश हुई ...।
परंतु ,जल्दी ही," वहाँ के एकल परिवार के निरवता से विचलित हो उठी ...।"
"सब कोई हमेशा जल्दी में रहते, परिवार के सदस्यों को इकट्ठे
खाना तो दूर, मिलना या बातचीत करना मुश्किल से कई दिनों बाद ही हो पाता ...।"
संयुक्त परिवार में पली नीलू को अपने मायके परिंदों के घर जैसा ही लगता था । अपने कजिन के साथ चिड़ियों के तरह फुदकती चहचहाती । हमेशा घर के चारों ओर झरनें की मानिंद कलकल ध्वनि गूँजता रहता । परिवार के सब सदस्य इकट्ठे खाते । ताई ,चाची व माँ मिलके खाना पकाती ।
बहनों व भाइयों की बदमाशियाँ व मस्तियाँ याद कर उसके नयनों से नीर बहने लगे ...।
पर  मन ही मन उसने सोचा, "बीती बातों को यादकर दिल दुखाने से क्या फायदा ..?"
अपने  वर्तमान को सुन्दर बनाने के लिए हमें सकारात्मक प्रयास करना चाहिए... ।
नीलू ने अपनी सासू जी से कहा , माँ जी आप सबसे रात के भोजन साथ में खाने और रविवार के दिन साथ में बिताने के नियम बना दीजिए ...तभी सभी में आपसी प्यार पनपेगा ।
"उसी समय उसने अपने पति से ससुराल के सभी बड़े व छोटे सदस्यों -  ससुर, जेठ, ताईजी,  चाचीजी, ननद, ननदोई और कजिन देवरों का नम्बर अपने मोबाइल में सेव किया... ।"
"फिर व्हाटसप पर ससुराल नाम से ग्रूप बनाया ...।"
"अब नीलू को ससुराल में एकाकीपन महसूस न होता, कारण सब से गपशप कर लिया करती ...।"
अब सभी लोग एक दूजे के गमों व खुशियों में हमेशा शरीक होते ...वास्तव में संयुक्त परिवार मजबूती से आपस में जुड़ गए ।"

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