Thursday 12 July 2018

सबल संकल्प

घनघोर विरोध के बाद भी आखिरकार संजय ने आज मंदिर में
अपने माता पिता की उपस्थिति में अपनी सगी भाभी को पंड़ितजी के द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ ही मांग भर डाला ।

संजय के माता पिता के चेहरे से अजीब संतोष झलक रहा था,
"हो भी क्यों न...? बहू के गर्भ में पल रहे संतान को छोटे बेटे ने नई जिन्दगी जो दे दिया  ...।"
उन्हें याद आ रहा था वो मनहूश दिन जब लीवर कैंसर से पीड़ित बड़े बेटे अजय ने आखिरी साँस ली थी ...."परिवार में मानो गमों का पहाड़ टूट पड़ा था  ...।"

"नई गर्भवती बहू को देख उनका कलेजा मुँह को आता ...।"

 थोड़े दिनों के लिए उन्होंने  मायके वालों के आग्रह पर बहू को जी बहलाने के लिए भेज दिया ..."ताकि वो खुद को संभाल सके  ...।"

पर कुछ दिनों के बाद ही,... बहू के घरवाले ने अपनी बेटी के पुनर्विवाह के लिए गर्भ गिराने की बात कही तो," उनके पाँव तले जमीन खिसक गई ...।"

"अपने बड़े बेटे की आखिरी निशानी को वो किसी कीमत पर खोना नहीं चाहते थे ...।"

अपने माता पिता को जार बेजार रोते देख, "छोटे बेटे संजय ने मन ही मन भाभी के हाथ जीवन भर थामने का सबल संकल्प  लिया ....।"

"ये बात गाँव में आग की तरह फैल गई ...कट्टर ब्राह्मण परिवार में ऐसी हिम्मत किसी ने नहीं की थी...। अतः सबने हुक्का पानी बंद करने का ऐलान कर दिया ...। अपने खानदान के लोगों ने भी संजय के परिवार को  घर से निकलने के चारों तरफ से रास्ते बंद कर दिए..।
  
"संजय ने फिर भी हार नहीं मानी... ।"

अपने माता पिता को गाँव से लेकर निकलते वक्त फिर से आने की बात कहकर .....
"वे लोग नियत समय पर मंदिर पहुँच चुके थे ....।"

"जहाँ बेटी को लेकर मायके वाले पहले से मौजूद थे ..।"
 
 

 
 

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