Sunday 22 July 2018

मनमौजी सफाई कर्मचारी (लघु कथा/ उषा झा)

जिला अस्पताल में भागम भाग मची है ..मंत्री जी आ रहे औचक निर्क्षण को । सुप्रिटेन्डेन्ट साहब का हाथ पाँव फूला
हुआ है, कारणअस्पताल में चारो तरफ गंदगी फैली हुई है... ।
सफाई कर्मचारी एक दिन की छुट्टी पे गया पर तीन दिन से आया नहीं है...।
ड्यूटी पर होता भी तो ठीक ढंग से काम कहां करता ..थोड़ी
बहुत साफ सफाई कर, दिन भर गप्पें लड़ाना बस यही उसका
रूटीन होता... । "हमेशा पी के थोता नारा देता अपने कर्मचारियोंपर हुए अन्याय और ज्यादितियों का....।"
कई बार डाँट भी लगाते सी एस साहब फिर भी उसपर कोई
असर नहीं  ! उलटे और दो तीन दिनों की छूट्टी कर लेता.. ।
सफाई कर्मचारी के अनुपस्थिति से अस्पताल में चारों ओर 
गंदगी ही गंदगी दिखाई देता । दुर्गंध के वजह से डॉ और स्टाफ  का काम करना मुश्किल हो जाता.... ।
ऐसी विकट स्थिति से दो चार न होना पड़े इसलिए सुप्रिटेन्डेन्ट साहब उसकी मनमानी सहते जा रहे थे ...।
जिसका नतीजा आज भुगतना पड़ रहा है .. "मंत्री जी अगर इस हालत में देख ले अस्पताल तो सुप्रिटेन्डेन्ट साहब की छुट्टी तय ही है ..।"
उन्होंने तुरंत ही आदेश दिया स्टाफ को.." कहीं से तत्काल मजदूर बुला के ले आओ ....!"
सभी डॉ कम्पाउन्डर नर्सो को अपने अपने वार्ड की साफ सफाई चाक चौबंद करने को कहा  ...।
"सुप्रिटेन्डेन्ट साहब ने मन ही मन फैसला लिया चाहे जो भी हो
ड्यूटी में लापारवाही करने वाले को बख्सा नहीं जाएगा ।"

    

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