Wednesday 12 December 2018

मनुहार पुत्र से

विधा-गीत

मेरा लाड़ला हो गया अब तू जवान
तरस रही देखने को मैं तेरी दुल्हन

सुनो बेटा ले ले कुछ तुम रूपया
नहीं चाहिए मुझको तुमसे चूड़ियाँ
ले आना तू मेले से सुन्दर सा हार
लाना मेले से प्यारी सी एक गुड़िया
पहनाना हमारी प्यारी बहुरानी को
चाँद सी बहू को दिखा दे बेटा
तेरे संसार सुखी देख जी उठुँगी
रब करे सजी रहे तेरे शक्ल पे मुस्कान
मेरा लाड़ला हो गया अब तुम जवान
तरस रही देखने को मैं तेरी दुल्हन ...

मेरे बाद भी मेरा नाम अमिट न हो
मेरे परिवार फले फूले यही चाह है
बस प्यारी सी बहूरानी ला दे तुम
बस हमारे दिल में यही तमन्ना है
मेरे आंगन खिले सुंदर सुंदर फूल
उसके खुशबू संग महके मन आंगन
नन्हें मुन्ने की किलकारी का हो गूंजन
मेरा लाड़ला हो गया तू अब जवान
तरस रही देखने को तेरी मैं दुल्हन .....

ख्वाब हमारा सच हो ये सबकी चाहत
बाग खिला रहे माली की यही चाहत
नव पौध भी बने उन्नत व विशालकाय
माली करते हैं मन से हमेशा ही सिंचित
हमारा कुल का जड़ हो इतना गहरा 
आंधी में भी ना टुटे वृक्ष रूपी परिवार
फल फूल से सजा रहे मेरा बगियन
मेरा लाड़ला हो गया तू अब जवान
तरस रही देखने को तेरी मैं दुल्हन ...

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