Thursday 7 February 2019

साजिशें

विधा -कुन्डलियां

साजिश हमेशा रचना ,,शातिरों का स्वभाव
किसी को न खुशियाँ मिले,,देता सबको घाव
देता सबको घाव,,,,वार तो दिल पर करता
मिलता दुख दे चैन ,, क्यों वो घात में रहता
उगे बैर के अंकुर  ,,,,  घर टूटे, यही ख्वाहिश
  दुष्ट शातिर, समाज,, को तोड़, रचता साजिश

   शातिर दाल गली जभी,,मिट जाता परिवार
   रिश्ते में हो साजिशें ,,,दिल  टूटे  सौ  बार
  दिल टूटे  सौ बार ,,,  प्रेम का अंत हो जाता
  नफरत से कभी भी  ,, रिश्ता जुड़ नहीं पाता
  रेत पर महल टिके,,न बचे किसी की जागिर
 एक जुटता हो जब,, चलता न चालें शातिर

मकसद स्वार्थ  सिद्धि हो ,,,, उनका न एतवार
रिश्ते में  विश्वास हो ,,,,बहे  प्रेम  रस   धार
बहे प्रेम रस धार,,,, सभी मिल जुल कर  रहना
प्रेम डोर न टूटे,,,,  त्याग  का मूरत बनना
अपनापन दिलों में ,,, जब बीच न हो कभी मद
रिश्ता बिखरता जब,,,,लालच स्वार्थ हो मकसद

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