Saturday 26 October 2019

प्रेम दीप जले

विधा - सुन्दरी सवैया
आठ सगण और गुरू (112/8 2)

112   112   112     112  112  112 112  112 2
धनतेरस की शुभ साँझ भये धन धान्य सभी घर में बरसा दे
घर द्वार सजा सब बैठ गए कब आंगन पैर कुबेर सहसा दे
मन ज्योति जले ,दिन रैन बढे खुशियाँ कमला धन तू बरसा दे
 मग दीपक एक जले यम दूर रहे वरदे, मुख सिर्फ हँसा दे

प्रिय नेह भरे जब दीप जले मदहोश हुआ मन भींग रहा है
 घर रौशन प्रेम करे सबके घृत डाल अहं ,हृद पींग रहा है
मुख दर्शन को उनके मचले मनमोहन, क्यों उर धींग रहा है 
बस प्रीत प्रकाशित हो दिल में तम दूर रहे , तन भीग रहा है

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