Friday 18 October 2019

वियोग


1222      1222   122 2    2212
प्रिये मेरी खबर ले लो उदासी तड़पा रहा   ।
तुम्हारी याद देते दर्द मुझको अब भटका रहा  ।।

अभी तक देखती राहें तुम्हें ही दिल चाहा करे
प्रणय के दिन दिखाते ख्बाव कितने,मन महका रहा ।

कई दास्तान की खोली अभी मैंने फिर पोटली ।
पुरानी याद नस्तर क्यों चुभा कर तन दहका रहा ।।

अकेली अब चली जाती विरानी सी सूनी डगर  ।
वफा पर चोट गंभीर , जख्मी तन सहला रहा  ।।

जिगर की है जगी आशा कभी मुझपर बहुरे सजन  ।
निराशा में मरू तृष्णा नयन को फिर दिखला रहा ।।

उषा झा (स्वरचित )
देहरादून( उत्तराखंड )

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