1222 1222 122 2 2212
प्रिये मेरी खबर ले लो उदासी तड़पा रहा ।
तुम्हारी याद देते दर्द मुझको अब भटका रहा ।।
अभी तक देखती राहें तुम्हें ही दिल चाहा करे
प्रणय के दिन दिखाते ख्बाव कितने,मन महका रहा ।
कई दास्तान की खोली अभी मैंने फिर पोटली ।
पुरानी याद नस्तर क्यों चुभा कर तन दहका रहा ।।
अकेली अब चली जाती विरानी सी सूनी डगर ।
वफा पर चोट गंभीर , जख्मी तन सहला रहा ।।
जिगर की है जगी आशा कभी मुझपर बहुरे सजन ।
निराशा में मरू तृष्णा नयन को फिर दिखला रहा ।।
उषा झा (स्वरचित )
देहरादून( उत्तराखंड )
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