सिंहावलोकित(दोहे )
चालें बाजीगर चली ,फँस जाते मासूम ।
मासूम दूध से धुले, पकड़े शातिर दूम ।।
हृदय में टकराव बढी, आये रिश्ते स्वार्थ ।
स्वार्थ कारण विनाश के, कर मनु कुछ परमार्थ ।।
लालच की पराकाष्ठा , करे करु क्षेत्र याद ।
याद अनगिनत हृदय में , अपनों में ही बाद ।।
लालच भारी प्रेम पर, लहू का कहाँ मोल ।।
मोल जब होता दिल का, रिश्ता फिर अनमोल ।।
जाना खाली हाथ है , छुपे हृदय क्यों दाग ।
दाग तो भद्दा दिखता, सजा हिया के बाग ।।
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