Sunday 6 October 2019

स्वार्थ लील गए रिश्ते

सिंहावलोकित(दोहे )

चालें बाजीगर चली  ,फँस जाते मासूम  ।
मासूम दूध से धुले, पकड़े शातिर दूम  ।।

हृदय में टकराव बढी, आये रिश्ते स्वार्थ ।
स्वार्थ कारण विनाश के, कर मनु कुछ परमार्थ ।।

लालच की पराकाष्ठा , करे करु क्षेत्र  याद ।
याद अनगिनत हृदय में , अपनों में ही  बाद ।।

लालच भारी प्रेम पर, लहू का कहाँ  मोल ।।
मोल जब होता  दिल का, रिश्ता फिर अनमोल ।।

जाना खाली हाथ है , छुपे हृदय क्यों  दाग ।
दाग तो भद्दा दिखता, सजा हिया के  बाग ।।

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