Tuesday 4 February 2020

करें नष्ट आड़म्बर

विथा-  मुक्तक 

बताकर धर्म का पैगम्बर,
क्यो दुखा रहे तुम  दिल उनके ।
बनाकर खिलौना नारी को, 
क्यो खेल रहे जीवन उनके ।
 किसी कौम का नहीं दस्तूर
 ,बता ग्रंथ में  लिखा कहाँ  है?
बीच राह में छोड़  अकेले
क्यो तोड  रहे अब दिल उनके ।

आड धर्म की में जो छुप के, 
वार मनुजता  पर करते हो।
निहत्थे लाचार के सिर वो
पत्थर से फोड़ा करते हो  ।
नापाक इन्सानियत को,क्यों  
अब शर्मसार करते दुष्टों  ।
बंदगी खुदा की करते कैसी 
शोणित से होली  करते हो।

अंधविश्वास की आड़ धर्म , 
को बना दिए हथियार सभी ।
ज्यादा रखते ,स्त्री पर, हद से
 बंदिश के पहरेदार सभी ।
कठपुतली नहीं  औरते हैं
इंसान जागती  जीती वो
अवसर उनको दो फैलाओ, 
तुम भरो ज्ञान उजियार सभी।।

बाहर निकालें रूढ़िवादी, 
धर्मो  के ख्यालात पुराने ।
है बेटी ही  जल दाता, सुन लो , 
तज दो मानसिकता पुराने ।
जानो जग वालो! बिटिया ही 
अंत करेगी  वह ही  सेवा ।
गौरवान्वित करेगी तुमको, 
पूर्ण करेगी सपन सुहाने ।।

उषा झा 
देहरादून

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