Tuesday 16 June 2020

दुख की दवा करे कोई

2122  1212  22/112
रदीफ - करे कोई
काफिया - आ
मिसरा - मेरे दुख की दवा करे कोई।
2122      1212     22
रंजो गम जो  कहा करे कोई ।
पीर उसकी सहा करे कोई ।

ताश सी जिन्दगी नहीं बिखरे।
मेरे दुख की दवा करे कोई ।।

मेंहदी हाथ में रची ही थी ।
मांग में खूँ भरा  करे कोई  ।।

फूल भी साख से बिछुड़ रोये ।
बाग उजड़े दगा करे कोई  ।

प्रेम आघात सह न पाते अब ।
राह  सजदा सदा  करे कोई ।।

काश टूटे न दिल किसी का भी।
प्यार पर बंदिशे  खफ़ा करे कोई

भेद अब ऊच नीच में क्यों है?
रीत ऐसी दफा करे कोई  ।।

रात तम की हटे जगत से अब ।
हो अमन बस वफा करे कोई  ।। 

नैन मोती झरे न जग वालो  ।
नूर माँ का विदा  करे कोई  ।।

 उषा झा देहरादून
सादर समी

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