Sunday 21 February 2021

मृदु राग अरु ज्ञान दे शारदे

दिग्पाल छंद मृदु गति

*शारदे वंदन

221 212 2 221 2122
हे हंसवाहिनी शुभफलदायिनी सुविमले ।
पद्मासना लिए पुस्तक शोभती सुकमले ।
संसार गह महाश्वेता रूप बुद्धि विद्या ।
जो शूर वीर पाते हैं शौर्य शक्ति आद्या ।

माँ हस्त शुचि कमंडलु ,गल हार काँचमणि है।
सौम्या निरन्जना से सौभाग्य भी अक्षुण है ।
सुरवंदिता विशालाक्षी हर गेह में पधारो ।
हे शास्त्ररूपिणी पद्माक्षी जगत सवारो ।।

माँ शारदा दया कर मम ज्ञान दो सुमाता ।
तेरी कृपा मिले तो सम्मान काव्य पाता ।।
है आस माँ तुम्हीं से बस लाज आप रखना।
आई शरण तुम्हारी बस नेह मातु करना ।।

वीणा जभी बजाती झंकृत हृदय सुरों से ।
करती अराधना माँ आशीष दो करों से ।।
भंडार प्यार का तो तुझमें भरा भवानी ।
संगीत सुर मयी दो वरदान आप दानी ।।

मृदु राग भर कलानिधि मम कंठ हो पुनीता ।
वागीश ने कृपा की वो रच सके सुगीता ।।
पदकंज आज दासी, ले आस माँ पड़ी है ।
माता पुकार सुन लो दृग नीर की लड़ी है ।

हो जीव मुक्त ईर्ष्या से ज्ञान चक्षु खोलो ।
दो विश्व भव्यता वीणा पाणि प्रीत घोलो ।।
आलोक दिव्य भर दो संसार आज विमला ।
ब्राह्मी महाभद्रा वाणी में विराज मृदुला ।।

*उषा की कलम से*
देहरादून 

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