Sunday 14 March 2021

कश्मीर की खुशहाली

कश्मीर की खुशहाली
16/14(कुकुभ छंद)

देख स्वर्ग सम्मोहित नयना ,कश्मीर शान वसुधा की।
सेब लदे बागों में बैठी , सजी बैंच कप कहुआ की ।।

नयनों में सतरंगी सपने, लगते सब थे अपनों से ।
नित दिन महफिल कारपेट पर ,चमन सजे मुस्कानों से।
मुख दूध बादाम से धोते , डल में नित बत्तख डोले ।।
हिरण फुदकते जब हौले से, मुदित हृदय भी पट खोले।
प्रेम सुधा बरसे कण कण में, केसरी रूप संध्या की ।।
देख स्वर्ग सम्मोहित नयना...

गूँज रही संगीत कान में , झीलों के शोरों से ।
हरियाली से अलंकृत मेरु , सुरभित वन फूलों से ।।
सुन्दर धरती कलुषित कर दी, गेह जलाया स्वार्थी ने।
केसर बाग लहू की होली, खेली कौन मनचलों ने ।।
लिफाफे में पैगाम आता , तस्करि हाथी दाँतों की ।
देख स्वर्ग सम्मोहित...

 मुरझाये से फूल बाग में,सड़ी झील में मछली है।
दुष्टों से जीवन दहशत में , झुका रहा झंडा बहसी ।।
बैठी गिटार लिए बाग में, वह लड़की डरी डरी सी
रौंद रहे बेल अंगूर के , क्यों कर मनुजता छुपी सी।
बंदुक के नोक पर जिन्दगी , हर घर में ताला लटकी।
देख स्वर्ग सम्मोहित......

ऋषि मुनि की यह भू पावन है , जंगल में जड़ी भरी है।
राजा महराजा से शाषित, इनकी भरी तिजोरी है।।
हरि भरी रहे कश्मीर सदा , चंदन सी महके वादी ।
चाँद प्रकाशित करे नीड़ को,,संतरा न हो वरवादी ।।
प्रश्न चिन्ह् क्यों लगा धर्म पर?हो बात हस्तकरघाँ की।
देख स्वर्ग सम्मोहित...

निर्यात ट्रक में फल मेवा हो , सुखी रहे अब हर कोई।
बच्चे स्कूल ड्रेस में गाये ,वायलिन पर नन्हीं खोई ।
खुली रहे सब घर की खिडकी,बिन डर एक्समस मनाए ।
पीले ,नीले हरे गुलाबी, सब होली ईद मनाए ।।
बिना कश्मीर देश शून्य है ,यह तो जान हिन्दुस्तां की
देख स्वर्ग सम्मोहित नयना , शान कश्मीर वसुधा की।

उषा झा स्वरचित

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