Monday 11 June 2018

इरादा

निधि के पति असमय अपने पीछे दो छोटी बच्चियों को छोड़ प्रस्थान कर गए इस जहां से । अचानक आई  दुखों के पहाड़ से टूट गई वो । अपने भाग्य को कोसती .. "सोचती कैसे जीवन बिताऊँगी पति के बिना, बिन पिता के बच्चों का भविष्य कैसे संवारूँगी ! "

कई महीनों तक वो शोक से खुद को उबार न पाई ।  इस बीच लोग आते , अपनी अपनी राय देके चले जाते .. "कहते इतनी  अल्प आयु में अकेली जीवन काटना कठिन है, तुम्हें दुसरी शादी कर लेनी चाहिए...।"

"बुजुर्ग सास-ससुर को बेसहारा छोड़ना, और आए दिन बेटियों के साथ अनैतिक व्यवहार के खबरों ने.. खुद के स्वार्थ के लिए सोचना मन गवाह नहीं लिया उसका...।"

 निधि  ने बुजुर्ग सास - ससुर और बच्चियों के वास्ते खुद को मजबूत किया और अपने जीवन के एकांत नहीं अकेलापन को दिल से बाहर का रास्ता दिखाते हुए , मन ही मन कुछ फैसला लिया ...।"
 
आज वो घरेलू कुटीर उद्दोग शिविर में ट्रेनिंग के लिए सधे कदमों  से जा रही है .."अपने परिवार और बच्चियों के बेहतर भविष्य  के लिए ।" सास - ससुर को निधि  के बुलंद इरादे देख मन में  अजीब संतोष मिला...!

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